
Indian startup ecosystem : देश के Startup Ecosystem को लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक अहम और तीखा बयान दिया है, जो इस वक्त स्टार्टअप जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। गुरुवार को Startup Mahakumbh इवेंट के दौरान उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स की दिशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश के युवा स्टार्टअप्स का ध्यान फूड डिलीवरी, सट्टेबाजी, और Fantasy Sports Apps जैसे क्षेत्रों पर अधिक है, जबकि चीन के स्टार्टअप्स EV Technology, Battery Innovation, Semiconductors और Artificial Intelligence (AI) जैसे उन्नत क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
गोयल ने यह भी सवाल किया कि क्या भारत के युवा सिर्फ Gig Economy की कम वेतन वाली नौकरियों तक सीमित रहना चाहते हैं? उन्होंने कहा, “क्या हम सिर्फ आइसक्रीम और चिप्स बनाएंगे? क्या हमें केवल दुकानदारी करनी है? क्या देश का भविष्य सिर्फ डिलीवरी बॉय और गर्ल्स बनने में है?”
AI and technology in China : गोयल ने इसकी तुलना चीन से की, जहां स्टार्टअप्स इलेक्ट्रिक वाहन (EV), बैटरी टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। गोयल ने सवाल उठाया कि क्या भारत तकनीकी प्रगति की दौड़ में शामिल होने के बजाय कम वेतन वाली गिग इकॉनमी जॉब्स से संतुष्ट होकर रह जाएगा।
स्टार्टअप्स पर सवालिया निशान
गोयल ने अपने भाषण में भारतीय स्टार्टअप्स के फोकस पर चिंता जताई। उन्होंने पूछा, “क्या हमें आइसक्रीम या चिप्स बनाना है? क्या हम सिर्फ दुकानदारी करना चाहते हैं?” उनका कहना था कि स्टार्टअप्स का मौजूदा रुझान फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स जैसे क्षेत्रों की ओर है, जो बेरोजगार युवाओं को सस्ते श्रम में बदल रहा है। उन्होंने कहा, “क्या हम डिलीवरी बॉय और गर्ल्स बनकर खुश रहेंगे? क्या यही भारत की नियति है? यह स्टार्टअप नहीं, बल्कि साधारण उद्यमिता है।” गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि स्टार्टअप्स को भविष्य की तकनीकी जरूरतों पर काम करना चाहिए, न कि केवल उपभोक्ता सुविधा पर केंद्रित रहना चाहिए।
चीन का उदाहरण देते हुए गोयल ने कहा कि वहां के स्टार्टअप्स AI और डीप-टेक में अग्रणी हैं। उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स से “रियलिटी चेक” करने की अपील की और कहा कि हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हमारा ध्यान सही दिशा में है। उनका मानना है कि भारत में स्टार्टअप्स का बड़ा हिस्सा फूड डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में लगा है, जो अमीर लोगों की सुविधा के लिए सस्ते श्रम का इस्तेमाल कर रहा है।
डीप-टेक स्टार्टअप्स की कमी
Food delivery startups India : गोयल ने भारत में डीप-टेक स्टार्टअप्स की कम संख्या पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश में केवल 1,000 डीप-टेक स्टार्टअप्स का होना एक “परेशान करने वाली स्थिति” है। डीप-टेक, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों को कवर करता है, भविष्य की तकनीकी प्रगति का आधार है। गोयल ने स्टार्टअप्स से ई-कॉमर्स से आगे बढ़कर इनोवेशन पर ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी अफसोस जताया कि कई युवा उद्यमी अपने शानदार आइडियाज को 25 लाख या 50 लाख रुपये में विदेशी कंपनियों को बेच देते हैं, जिससे भारत का नुकसान होता है।
उद्योग जगत का जवाब
Piyush Goyal on startups : गोयल के बयान पर बिजनेस लीडर्स ने कड़ा विरोध जताया है। Zepto के सीईओ और सह-संस्थापक आदित पलिचा ने एक्स पर लिखा कि सरकार को स्टार्टअप्स का समर्थन करना चाहिए, न कि उन्हें हतोत्साहित करना चाहिए। पलिचा ने कहा, “उपभोक्ता इंटरनेट स्टार्टअप्स की आलोचना करना और उनकी तुलना अमेरिका या चीन की तकनीकी प्रगति से करना आसान है। लेकिन अगर हम तकनीकी क्रांति का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो पहले हमें स्थानीय इंटरनेट चैंपियंस बनाने होंगे जो सैकड़ों मिलियन डॉलर का फ्री कैश फ्लो (FCF) उत्पन्न करें।” उनका मानना है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम, सरकार और भारतीय पूंजी को इन चैंपियंस के निर्माण में मदद करनी चाहिए।
piyush goyal statement : इंफोसिस के पूर्व कार्यकारी मोहनदास पई ने भी गोयल की टिप्पणी को “खराब तुलना” करार दिया। उन्होंने कहा, “पीयूष गोयल को हमारे स्टार्टअप्स को छोटा नहीं आंकना चाहिए। उन्हें खुद से पूछना चाहिए कि उन्होंने डीप-टेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए क्या किया है। उन पर उंगली उठाना आसान है।” पई का कहना था कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्टार्टअप्स के लिए बेहतर नीतियां और संसाधन उपलब्ध कराए।
क्या है असली मुद्दा?
Deep-tech startups in India : गोयल की आलोचना और उद्योग जगत के जवाब से एक बड़ा सवाल उठता है- क्या भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम सही दिशा में जा रहा है? एक तरफ फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स जैसे क्षेत्रों ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है और उपभोक्ताओं के लिए सुविधा बढ़ाई है। दूसरी तरफ, डीप-टेक और हाई-टेक इनोवेशन में भारत की प्रगति धीमी है। Google पर “Indian startup ecosystem” या “deep-tech startups in India” सर्च करने पर भी यही तस्वीर सामने आती है कि भारत में स्टार्टअप्स की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन तकनीकी नवाचार में हम अभी पीछे हैं।
गोयल का यह बयान स्टार्टअप्स के लिए एक वेक-अप कॉल हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही सरकार को भी डीप-टेक को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। स्टार्टअप्स और सरकार के बीच बेहतर तालमेल ही भारत को तकनीकी महाशक्ति बना सकता है।