
Joint FD Income Tax : देश में परिवारों में जॉइंट बैंक अकाउंट या जॉइंट फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) रखना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह न केवल वित्तीय सुविधा प्रदान करता है, बल्कि भविष्य की योजना और उत्तराधिकार को आसान बनाता है। पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों के बीच ऐसे जॉइंट अकाउंट्स आम हैं, जहां सभी होल्डर्स को समान अधिकार मिलते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की सख्ती के कारण ऐसे अकाउंट्स में बड़े लेन-देन से जुड़ी समस्याएं बढ़ गई हैं। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि जॉइंट FD या बैंक अकाउंट में बड़े ट्रांजेक्शन पर सभी होल्डर्स के PAN पर एंट्री दर्ज होने से गैर-आय वाले लोगों को भी टैक्स नोटिस मिल सकता है। यह स्थिति AIS (Annual Information Statement) और TIS (Taxpayer Information Summary) में डुप्लिकेट एंट्रीज के कारण उत्पन्न होती है, जो टैक्स रिटर्न और डिपार्टमेंट के डेटा में मिसमैच पैदा करती है।
Income Tax Notice on FD : परिवार संग जॉइंट FD या अकाउंट खोलना सुविधा और सुरक्षा का जरिया हो सकता है, लेकिन अगर सावधानी न बरती जाए तो यह टैक्स नोटिस की वजह भी बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन पर नजर रखें, ITR भरने से पहले AIS/TIS को जरूर जांचें और सही डॉक्यूमेंटेशन के साथ तैयार रहें। इस तरह आप खुद को Income Tax Department की अनावश्यक कार्यवाही से बचा सकते हैं।
क्यों आते हैं ऐसे नोटिस?
इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, बैंक, एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां) और म्यूचुअल फंड कंपनियां बड़े लेन-देन की जानकारी आयकर विभाग को देती हैं। इसमें शामिल हैं: सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से अधिक का डिपॉजिट या विड्रॉल, 10 लाख से ज्यादा की FD, 2 लाख से अधिक का म्यूचुअल फंड निवेश, और बड़ी क्रेडिट कार्ड पेमेंट। इन ट्रांजेक्शन की रिपोर्टिंग में सभी जॉइंट होल्डर्स का PAN नंबर शामिल किया जाता है। नतीजतन, पूरी राशि हर होल्डर के AIS और TIS में दिखाई देती है। यदि कोई होल्डर अपनी आय के अनुसार इस राशि को ITR में नहीं दिखाता, तो ऑटोमैटिक सिस्टम नोटिस जारी कर देता है।
यह समस्या विशेष रूप से तब बढ़ती है जब जॉइंट अकाउंट में प्राइमरी होल्डर की आय होती है, लेकिन सेकंडरी होल्डर (जैसे गृहिणी या रिटायर) की कोई आय नहीं। उदाहरण के लिए, यदि FD पर ब्याज 10,000 रुपये से अधिक है, तो TDS कटता है और यह सभी होल्डर्स के रिकॉर्ड में दिखता है। टैक्स डिपार्टमेंट SFT (Specified Financial Transactions) के जरिए इनकी निगरानी करता है, और यदि मिसमैच मिलता है, तो री-असेसमेंट नोटिस भेजा जाता है। हाल के मामलों में, जॉइंट होल्डर्स को पुराने वर्षों के लिए भी नोटिस मिले हैं, जहां निवेश की सोर्स एक्सप्लेनेशन मांगी जाती है।
किन लोगों को हो रही ज्यादा परेशानी?
Joint Bank Account : यह दिक्कत मुख्य रूप से उन लोगों को हो रही है जिनकी कोई व्यक्तिगत आय नहीं है, जैसे गृहिणियां, रिटायर सीनियर सिटीजन या नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI)। एक उदाहरण में, 61 वर्षीय गृहिणी को 20 लाख रुपये की FD पर नोटिस मिला, जबकि रकम उनकी बेटी ने जमा की थी। इसी तरह, कई रिटायर लोगों को जॉइंट अकाउंट में हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन के कारण नोटिस आए हैं। NRI के मामले में समस्या और बढ़ जाती है, क्योंकि उनका ऐड्रेस ओवरसीज होता है और नोटिस पहुंचने में देरी होती है।

Income Tax Notice : टैक्स नियमों में जॉइंट अकाउंट्स पर ब्याज आय को आमतौर पर प्राइमरी होल्डर की आय माना जाता है, लेकिन रिपोर्टिंग में सभी PAN शामिल होने से सेकंडरी होल्डर्स को भी प्रभावित करता है। यदि जॉइंट FD में ब्याज टैक्सेबल है, तो यह सभी के AIS में दिखता है, जिससे अनावश्यक जांच होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में जॉइंट होल्डर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होती, लेकिन नोटिस आने पर एक्सप्लेनेशन देना पड़ता है, जो समय और पैसे की बर्बादी है।
बचाव के प्रभावी तरीके
टैक्स विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि ऐसी परेशानियों से बचने के लिए कुछ कदम उठाएं:
- ITR फाइलिंग से पहले चेक करें AIS/TIS: आयकर पोर्टल पर लॉगिन करके AIS और TIS डाउनलोड करें। यदि कोई डुप्लिकेट या गलत एंट्री है, तो “belongs to another PAN” या “duplicate” ऑप्शन चुनकर फीडबैक दें। यह ऑटोमैटिक नोटिस को रोक सकता है।
- दस्तावेज रखें तैयार: बैंक स्टेटमेंट, गिफ्ट डीड, या निवेश की सोर्स प्रूफ हमेशा रखें। यदि FD गिफ्ट है, जैसे बेटे से मां को, तो गिफ्ट टैक्स फ्री है, लेकिन प्रूफ जरूरी।
- नोटिस पर तुरंत रिस्पॉन्स: यदि नोटिस आता है, तो ई-प्रोसीडिंग पोर्टल पर 15-30 दिनों में जवाब दें। टैक्स एडवाइजर की मदद लें ताकि री-असेसमेंट से बचा जा सके।
- जॉइंट अकाउंट चुनते समय सावधानी: यदि संभव हो, तो प्राइमरी होल्डर वह चुनें जिसकी आय है। या अलग-अलग अकाउंट्स रखें ताकि रिपोर्टिंग सीमित रहे। टैक्स-सेविंग FD में केवल प्राइमरी होल्डर को 80C बेनिफिट मिलता है।
- TDS और इंटरेस्ट पर ध्यान: जॉइंट अकाउंट में इंटरेस्ट आय को योगदान के अनुपात में बांटा जा सकता है, लेकिन डॉक्यूमेंटेशन जरूरी। सीनियर सिटीजन को 50,000 रुपये तक इंटरेस्ट पर छूट मिलती है (सेक्शन 80TTB)।
आगे क्या बदलाव जरूरी?
High Value Transactions : विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार का हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन पर नजर रखना सही है, क्योंकि इससे ब्लैक मनी और टैक्स एवेजन पर लगाम लगती है। हालांकि, नियमों में सुधार की जरूरत है। जैसे, रिपोर्टिंग में केवल प्राइमरी होल्डर का PAN शामिल करना या AIS में ऑटोमैटिक एडजस्टमेंट का प्रावधान। वर्तमान में, कई जॉइंट होल्डर्स अनावश्यक परेशानी झेल रहे हैं, खासकर वे जो टैक्स रिटर्न नहीं फाइल करते।
Fixed Deposit Tax : कुल मिलाकर, जॉइंट FD या अकाउंट फायदेमंद हैं, लेकिन टैक्स इंप्लिकेशंस को समझना जरूरी है। सही प्लानिंग और डॉक्यूमेंटेशन से नोटिस के खतरे को कम किया जा सकता है। यदि आप ऐसे अकाउंट होल्डर हैं, तो नियमित रूप से आयकर पोर्टल चेक करें और विशेषज्ञ सलाह लें। यह न केवल परेशानी बचाएगा, बल्कि वित्तीय सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
