
Leapard Attack : राजस्थान के उदयपुर जिले में एक दर्दनाक घटना घटी, जहां एक लेपर्ड (तेंदुआ) ने 7 साल के मासूम नरेंद्र पर हमला कर दिया। बच्चा अपने माता-पिता के साथ घर के आंगन में सो रहा था, तभी अचानक दबे पांव आए लेपर्ड ने उसे अपने जबड़ों में दबोच लिया और घसीटते हुए जंगल की ओर ले जाने लगा। बच्चा दर्द से चीख पड़ा, जिससे परिवार जाग गया। शोर सुनते ही लेपर्ड बच्चे को वहीं छोड़कर झाड़ियों में भाग गया। घटना झाड़ोल क्षेत्र के नयनबारा जंगल स्थित आंबाफला गांव में तड़के सुबह 4 बजे की है। फिलहाल, बच्चे का इलाज झाड़ोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में चल रहा है।

बच्चे को जबड़े में दबोचकर ले जा रहा था लेपर्ड
बच्चे के पिता ईश्वर ने बताया कि उनका बेटा नरेंद्र आंगन में सो रहा था। परिवार के सभी सदस्य गहरी नींद में थे, तभी अचानक लेपर्ड घर में दाखिल हुआ और सीधे नरेंद्र पर झपट पड़ा। उसने बच्चे को अपने जबड़े में जकड़ लिया और घसीटते हुए जंगल की ओर ले जाने लगा। जैसे ही नरेंद्र ने तेज चीख मारी, परिवार के सदस्य तुरंत जाग गए। चारों ओर हड़कंप मच गया और परिजनों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। परिवार के चिल्लाने से घबराकर लेपर्ड बच्चे को छोड़कर झाड़ियों में भाग गया। ईश्वर ने बताया कि इस हमले में नरेंद्र के कान, गाल और आंखों के पास गंभीर चोटें आई हैं। परिजनों ने तुरंत उसे झाड़ोल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर उसकी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
Udaipur News today : वन विभाग की टीम जांच में जुटी, पगमार्क ढूंढे जा रहे हैं
Udaipur News today : घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। क्षेत्रीय वन अधिकारी फौरीलाल सैनी ने बताया कि वन विभाग इस बात की पुष्टि कर रहा है कि हमला करने वाला जानवर वास्तव में लेपर्ड ही था या कोई अन्य जंगली जीव। टीम जंगल में तेंदुए के पगमार्क ढूंढ रही है ताकि उसकी मौजूदगी की पुष्टि की जा सके। सैनी ने कहा, “यह इलाका घना जंगल है और यहां छितरी हुई आबादी बसी हुई है। यह संभव है कि लेपर्ड या कोई अन्य जंगली जानवर भोजन की तलाश में गांव तक आ गया हो। हम पूरी जांच कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर इलाके में पिंजरा लगाया जाएगा।”
परिजनों ने एमबी अस्पताल ले जाने से किया इनकार
बच्चे की आंखों में सूजन और चोटों को देखते हुए वन विभाग और चिकित्सा अधिकारियों ने परिजनों को सलाह दी कि नरेंद्र को बेहतर इलाज के लिए उदयपुर के एमबी अस्पताल ले जाया जाए। हालांकि, परिवार ने झाड़ोल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही इलाज कराने का फैसला किया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र में पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग मिलकर जल्द ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करेंगे, ताकि ग्रामीणों को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाया जा सके।

ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग से सुरक्षा की मांग
इस घटना के बाद से आंबाफला गांव और आसपास के इलाकों में भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द सुरक्षा उपाय किए जाएं और तेंदुए को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाए। झाड़ोल क्षेत्र पहले भी तेंदुए के हमलों का शिकार होता रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगली जानवरों की आबादी बढ़ने और जंगलों के लगातार कटने से तेंदुए अब गांवों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
वन विभाग ने जारी की सतर्कता की अपील
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि रात में घरों के बाहर न सोएं और बच्चों को अकेला न छोड़ें। घरों के आस-पास रोशनी की उचित व्यवस्था करें और जंगली जानवरों की हलचल पर नजर रखें। यदि कहीं भी लेपर्ड या किसी अन्य जंगली जानवर की मौजूदगी महसूस हो तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें।