
Piplantri Model Rajsamand : जल संरक्षण, संवर्द्धन के लिए देश में विख्यात पिपलांत्री गांव के विकास कार्य एवं आत्मनिर्भरता ग्रामवासी की थीम पर चल रहे कार्यों से न्यायिक अधिकारी भी चकित है। हरित न्याय हरित स्वच्छ वातावरण व सतत विकास विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश एवं नालसा कार्यकारी अध्यक्ष बीआर गवई, न्यायाधीश संदीप मेहता, केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, राजस्थान उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधिपति मनींद्र मोहन श्रीवास्तव 5 अप्रैल को पिपलांत्री को विजिट करेंगे। पिपलांत्री मॉडल को विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए देशभर में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से नाथद्वारा के होटल रेडिशन में राज्य स्तरीय कार्यशाला होगी। इसमें प्रदेश के सभी हाईकोर्ट न्यायाधीश, राजस्थान के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मौजूद रहेंगे। न्यायाधीशों को पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल अपने अनुभव बताएंगे और देशभर के गांवों में इस मॉडल को किस तरह से लागू किया जा सकता है, उस पर चिंतन, मनन व मंथन होगा। पर्यावरण संरक्षण के मॉडल के रूप में प्रसिद्ध पिपलांत्री गांव में पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को करीब से देखेंगे और यहां की खासियत से रूबरू होंगे। यह पहला मौका है, जब देश की न्याय व्यवस्था सैकड़ों न्यायाधीश एक साथ पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को देखने आ रहे हैं।
जिला एवं सेशन न्यायाधीश राघवेंद्र काछवाल ने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए पिपलांत्री की तर्ज पर देशभर के गांवों में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लोगों को जागरूक करना उद्देश्य है। हाल ही सुप्रीम कोर्ट के एक पर्यावरण संरक्षण के प्रकरण की फैसले में पिपलांत्री मॉडल का जिक्र किया। राजसमंद जिला न्यायालय की प्रेसवार्ता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव (एडीजे) संतोष अग्रवाल, एडीजे सुनील कुमार ओझा, सीजेएम ममता सैनी, एससी/एसटी जज अभिलाषा शर्मा आदि मौजूद थे।
Piplantri Village News : पिपलांत्री गांव इसलिए है खास
Piplantri Village News : राजसमंद जिले में स्थित पिपलांत्री गांव पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास के लिए जाना जाता है। यह गांव “बेटी बचाओ, पेड़ लगाओ” की सीख देता है और यहां हर नवजात बेटी के जन्म पर 111 पेड़ लगाए जाते हैं। इस प्रयास ने गांव को हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर बना दिया है। पिपलांत्री गांव केवल एक स्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा का प्रतीक है। यह गांव दिखाता है कि यदि सामूहिक प्रयास और संकल्प शक्ति हो, तो कोई भी समाज कारात्मक परिवर्तन ला सकता है। इस मॉडल राजस्थान सहित देश के कई गांवों में लागू करने के लिए सरकारें प्रयासरत है। उल्लेखनीय कार्य करने पर पूर्व सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। मार्बल खदानों की वजह से गांव में भूजल स्तर काफी गिर गया था और अब जल ग्रहण के क्षेत्र में किए गए प्रयासों से अब भूजल स्तर बढ़ा है।
मुहिम की वर्ष 2006 से हुई थी शुरुआत
वर्ष 2006 में तत्कालीन सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल द्वारा शुरू की गई। उनकी बेटी का आकस्मिक निधन होने पर बेटी की याद में पहला पौधा रोपा और उसके बाद उसी तरह गांव के अन्य लोगों की बेटियों के नाम पौधे रोपने की मुहिम शुरू की, जो आज तक जारी है।
Rajsamand News today : पेड़ को बांधते हैं राखी
Rajsamand News today : पिपलांत्री गांव की बेटियां पेड़ों को राखी बांधकर उन्हें पानी पिलाकर बढ़ा करने का संकल्प लेती है। साथ ही उन बेटियों के नाम पौधा रोपने के बाद उनके नाम की नेम प्लेट भी लगाई जाती है। एलोवेरा का बड़ी मात्रा में उगाए गए, जिनके जरिए भी विभिन्न उत्पाद तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सोलर चलती पेयजल परियोजनाएं
पिपलांत्री पंचायत मुख्यालय के साथ मोरवड़, कड़ेचो का गुड़ा सहित अन्य सभी गांवों में सोलर के जरिए पेयजल परियोजनाएं चलती है और किसी भी गांव में बिजली का बिल नहीं आता है। साथ ही ग्रामवासियों के भी सर्वाधिक आवेदन करवाए गए और पूरे गांव के हर घर सोलर प्लेटे लगाने का अभियान जारी है।
सरकार ने खोला राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र
राजस्थान के अन्य ग्राम पंचायतों के सरपंच, पंच व कार्मिकों को जलग्रहण संरक्षण व संवर्द्धन के लिए बेहतर कार्य करना पिपलांत्री से सीखने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र पिपलांत्री में खोला गया। यहां अब प्रदेशभर से पंच- सरपंच, ग्रामीण भी आते हैं, जो न सिर्फ पिपलांत्री गांव में हो रहे विकास कार्य को करीब से देखते हैं, बल्कि एक्सपर्ट द्वारा विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
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