Public Questions : राजसमंद शहर में स्थित हैप्पी चाइल्ड केयर हाॅस्पीटल (Happy child care hospital) में 7 मई शाम डॉ. अशोक कुमावत पर हमले के बाद सभी निजी हॉस्पीटल, सरकारी डॉक्टर्स व सेवानिवृत चिकित्सकों ने जिला कलक्ट्री पहुंचकर कलक्टर डॉ. भंवरलाल व एसपी मनीष त्रिपाठी से मुलाकात की। साथ ही सीएम के नाम ज्ञापन दिए गए। दूसरी तरफ मीडिया कवरेज की खबरों व सोशल मीडिया पर लोगों ने गंभीर सवाल उठाए और गुस्सा भी दिखाया। किसी ने डॉक्टर को भगवान का प्रतिरूप बताया, तो किसी ने पैसा कमाने की दुकान करार दे दिया। पीडित डॉक्टर की बात, पुलिस का पक्ष सामने आने पर लोगों ने आरोपी भैरूलाल वैष्णव की मजबूरी को भी समझने व सामने लाने की बात कही। आरोपी फिलहाल पुलिस कस्टडी में है। इस बीच सरकारी, गैर सरकारी व रिटायर चिकित्सकों ने एसपी व कलक्टर से मुलाकात कर सख्त सुरक्षा उपलब्ध करवाने की मांग दोहराई है।

Doctor assaulted in hospital : 7 मई को हुई घटना में डॉ. अशोक कुमावत के साथ हमले के सीसीटीवी फुटेज, पुलिस कार्रवाई व चिकित्सकों द्वारा उठाई गई मांग को सभी मीडिया संस्थानों द्वारा प्रमुखता से दिखाया व खबरें प्रकाशित की गई। इन्हीं खबरों के नीचे लोगों ने कमेंट के जरिए गंभीर सवाल उठाए, जो भी विचारणीय है। आखिर लोगों में डॉक्टर्स के प्रति इतना गुस्सा क्यों है, क्या कहीं न कहीं लोग चिकित्सकों से परेशान हैं। इस तरह के कई सवाल हर किसी के जेहन में उठ रहे हैं। लोगों का गुस्सा और उसके नजरिए के तौर तरीके भी अलग हो सकते हैं, मगर इस घटना के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर खुलकर लिखा और आक्रोश व्यक्त किया है।

Doctor Protest : चिकित्सकों ने कलक्टर- एसपी को सौंपे ज्ञापन

Doctor Protest : राजसमंद में डॉ. अशोक कुमावत पर हमले की घटना के बाद सरकारी, गैर सरकारी व सेवानिवृत चिकित्सक एकत्रित हुए और जिला कलक्ट्री पहुंचे। चिकित्सकों ने जिला कलक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपे और प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग उठाई गई। साथ ही मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिया गया, जिसमें सरकार के पास लंबित डॉक्टर्स सुरक्षा कानून को लागू करवाने की मांग उठाई गई। एसपी ने डॉक्टर्स की बात को तसल्ली से सुना और नियमानुसार उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इस दौरान पीड़ित डॉ. अशोक कुमावत के अलावा दो दर्जन से ज्यादा चिकित्सक मौजूद थे।

Public Questions : अब देखिए, कमेंट में किसने क्या लिखा है….

  • भरत पालीवाल लिखते हैं- पेशेंट की बात को भी सुना जाए, उसके विचाराे को भी रखा जाए। हमेशा डॉक्टर ही सही नहीं होता है। कहीं पर पेशेंट भी सही हो सकता है।
  • सुरेश पूर्बिया लिखते हैं- अब डॉक्टर डॉक्टर ना रहे, बिजनेस करते हैं। पेशेंट के साथ उनका व्यवहार सही नहीं है। चिराग चुंडावत ने भी इसी बात का समर्थन करते हुए लिखा कि बिल्कुल सही कहा सरजी, खास कर चिरंजीवी या आयुष्मान भारत कार्ड लेकर कोई व्यक्ति अस्पताल जाता है, तो इनका व्यवहार ऐसा होता है, जैसे वह इंसान पाकिस्तान से आया हो।
  • मुरली सोनी लिखते हैं कि उस मजबूर पिता से भी कुछ लेते एक बार, आखिर कुछ तो कारण रहा होगा कि उसने ये कदम उठाया। राजसमंद में कोई भी सरकारी अस्पताल ढंग का नहीं होने से लोगों को प्राइवेट क्लीनिक में जाना पड़ता है। मनीष पालीवाल लिखते हैं- कई सालों से दुकान चला रहे हैं डॉक्टर।
  • कुशलेन्द्र त्रिपाठी लिखते हैं कि डॉक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है। मगर कुछ डॉक्टरो द्वारा बहुत ही असभ्य भाषा में बात की जाती है।
  • बलवीर टैलर ने लिखा कि लूट मचा रखी है डॉक्टरों ने, इस पर भी सरकार ध्यान दें। रवि पालीवाल ने तो गंभीर आरोप लगाते हुए भगवान के रूप में चोर बता दिया। चिराग चुंडावत ने भी लिखा कि खाली नाम के डॉक्टर, बाकी तो दुकाने चला रहे हैं।
  • कुंवर हेमेन्द्र सिंह सोलंकी लिखते हैं कि डॉक्टर अपने सामने मरीजों को बहुत ही तुच्छ समझते हैं। नरेश कुमावत लिखते हैं कि मरीजों की बात को भी सुनना चाहिए।
  • जितेन्द्र कुमावत लिखते हैं कि आप डॉक्टर हो, हम मानते हैं। हमारे सर आंखों पर, हमारे भगवान हो आप। फिर भी हद से ज्यादा गोली दवाई लिखते हैं क्या।
  • रामसिंह राठौड़, मनोहर गायरी भी लिखते हैं कि- भगवान का रूप अब डॉक्टर नहीं है, इन्हीं तो सिर्फ पैसे कमाने है।
  • सीताराम अहीर लिखते हैं कि निस्वार्थ रूप से क्या सेवाएं दे रहे हैं डॉक्टर। क्या सारी सेवाएं फ्री दे रहे हैं क्या।
  • दिनेश पालीवाल मंडावर लिखते हैं कि हॉस्पीटल में तो चैक करते नहीं और घर पर अलग राशि लेते हैं। देखने के डॉक्टर और फिर बोलते हैं जाओ उदयपुर।
  • दिनेश पालीवाल लिखते हैं कि इस डॉक्टर ने कुछ तो गलत किया होगा, निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ललित दायमा लिखते हैं कि डॉक्टर ने गरीबों को एटीएम मशीन समझ रखा है, खाली लूट करो।
  • रायसिंह डुलावत लिखते हैं कि डॉ. अशोक कुमावत का व्यवहार सही नहीं है। इनके बोलने का तरीका ठीक नहीं है। मैं भी एक बार इनके हॉस्पीटल में गया था। नरेश वैष्णव लिखते हैं कि इनके हॉस्पीटल को बंद करवाओ। रवि पालीवाल, सुरेश पूर्बिया, आकाश दाधीच भी असंतोष जताते हैं, जबकि
  • गोपीलाल गायरी डांगर लिखते हैं कि इनको पैसा चाहिए बस। पहले वह भी हॉस्पीटल गया था, तो इलाज कुछ नहीं करा फोकट में पैसा ले लिया।
  • अमित पांडे लिखते हैं कि डॉक्टर का व्यवहार बिल्कुल भी सही नहीं है। पुष्कर कुमावत भी लिखते हैं कि बोलने का सही तरीका नहीं है इन डॉक्टर को।
  • जागृति गोस्वामी लिखती है कि इज्जत दी होती लोगों को तो आज इज्जत नहीं उछलती इतनी। बददुआ है हर मां बाप की तेरे साथ।
  • नरेश जोशी लिखते हैं कि डॉ. अशोक कुमावत को सिर्फ पैसा चाहिए, 100 रुपए में काम होता है, तो इनके पास जाने पर 3 हजार रुपए चाहिए।