
Sakhi Utsav : महिलाओं के लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता, जरूरत केवल आत्मविश्वास और एक कदम आगे बढ़ाने की होती है। इसी का एक प्रेरणादायक उदाहरण हिंदुस्तान जिंक से जुड़ी ‘सखी’ महिलाएं हैं, जो अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हिंदुस्तान जिंक और मंजरी फाउंडेशन द्वारा वेदांता स्टेडियम, रेलमगरा में आयोजित ‘सखी उत्सव’ में यह बात प्रमुख रूप से सामने आई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक माहेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा कि आज महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। अब समय आ गया है कि वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर परिवार की जिम्मेदारियों को साझा करें, जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा और एक उज्ज्वल भविष्य मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में महिलाएं हर क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं, जो न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रमाण है, बल्कि समाज के विकास में भी उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी को दर्शाता है। भारतीय संस्कृति और संस्कार हमारी ताकत हैं, जो हमें घर और समाज दोनों जगहों पर मजबूती से कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। महिलाओं को हर चुनौती को स्वीकार कर अपने प्रयासों से आगे बढ़ते हुए समाज और देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर आईबीयू हेड राजपुरा दरीबा कॉम्प्लेक्स बलवंत सिंह राठौड़, डीएससी हेड दीप अग्रवाल, हेड एक्सटर्नल अफेयर्स कर्नल अक्षय ओहरी, मुख्य सुरक्षा अधिकारी केशव कुमार, सेफ्टी हेड मोहन फर्टाडे, रेलमगरा सरपंच आशा जाट, महेंदुरिया सरपंच पारस कंवर और खडबामनिया सरपंच पुरण कंवर उपस्थित थे।
Hindusthan Zinc : महिलाओं में अपार शक्ति
कार्यक्रम में बलवंत सिंह राठौड़ ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि महिलाओं में अपार शक्ति होती है, जो उन्हें परिवार और कार्यक्षेत्र के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। हम अपने ‘सखी’ समुदाय की हर महिला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ‘सखी’, ‘समाधान’ और ‘जिंक कौशल’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम सभी के लिए एक सशक्त और समृद्ध भविष्य का निर्माण करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि हम मिलकर प्रयास करें, तो समाज में सकारात्मक और उल्लेखनीय बदलाव लाया जा सकता है। हिंदुस्तान जिंक द्वारा संचालित ‘सखी’ प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनी महिला सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि वेदांता समूह और हिंदुस्तान जिंक में महिलाएं उच्च पदों पर कार्यरत हैं और माइंस प्रबंधन में भी वे पुरुषों के साथ बराबरी से कार्य कर रही हैं।
Dariba Mines : प्रतियोगिताओं का आयोजन

सखी उत्सव के दौरान महिलाओं के लिए कई मनोरंजक और उत्साहवर्धक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें मटकी फोड़, रस्साकस्सी, कबड्डी, जलेबी रेस और चेयर रेस जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं। महिलाओं ने बढ़-चढ़कर इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इसके बाद भजन-कीर्तन और राजस्थानी लोकगीतों पर महिलाओं ने नृत्य कर अपनी खुशियों का इजहार किया। इस आयोजन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं था, बल्कि महिलाओं को आत्मविश्वास और सामूहिकता की भावना से जोड़ना भी था। यह कार्यक्रम हिंदुस्तान जिंक के CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत आयोजित किया गया, जिसमें 1,000 से अधिक ‘सखी’ महिलाएं, ग्रामीण महिलाएं, महिला कर्मचारी और हिंदुस्तान जिंक परिवार के सदस्य शामिल हुए। सभी ने समाज और देश को सशक्त करने के संकल्प के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया। खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली महिलाओं और विजेताओं को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के दौरान सखी समृद्धि समिति और सखी फेडरेशन की अध्यक्ष पूजा कुँवर ने परियोजना की वर्षभर की गतिविधियों की जानकारी साझा की। समूह की महिलाओं द्वारा फैशन शो, लोक नृत्य और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिससे दर्शकों का भरपूर मनोरंजन हुआ। साथ ही, हिंदुस्तान जिंक के CSR द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं – ‘सखी’, ‘समाधान’, ‘जिंक कौशल’, ‘शिक्षा संबल’ और ‘माइक्रो इंटरप्राइजेज’ की जानकारी स्टॉल के माध्यम से दी गई।
Rajsamand News Today : 25,000 से अधिक महिलाएं सशक्त

हिंदुस्तान जिंक द्वारा राजस्थान के छह जिलों – उदयपुर, सलूंबर, राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर और चित्तौड़गढ़, तथा उत्तराखंड के पंतनगर में ‘सखी’ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। राजपुरा-दरीबा कॉम्प्लेक्स के आसपास के क्षेत्रों में 300 से अधिक ‘सखी’ विचारधारा से जुड़कर 3,000 से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। हिंदुस्तान जिंक, जो भारत की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी है, अपने CSR कार्यक्रमों के तहत राजस्थान और उत्तराखंड के 200 से अधिक गाँवों में 2,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ‘सखी’ पहल चला रही है। इस पहल के अंतर्गत अब तक 25,000 से अधिक महिलाओं को सशक्त बनाया जा चुका है।