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एक दिन एक नेता ने अपनी पत्नी से कहा- जानती हो मैं नेता से राजनेता खडग़सिंह क्यों नहीं बन पाया। क्योंकि तुम कोई फूलनदेवी बन कर नहीं आई मेरे घर पर। चोर डाकुओं के इलाके से तुम जरूर आईं हो। राजनीति के माहौल में तो पली नहीं हो। अब तक जो हुआ सो हुआ। अब आगे के लिए कुछ सोचा है। मुझे तो नेता से राजनेता बनकर देश व समाजसेवा के प्रति अपना दायित्व निभाना चाहिए। नेता की पत्नी बोली- साफ-साफ क्यों नहीं कहते आपको शराब पीने का एक बहाना चाहिए। नेता बोला, हमारे भारत में इतने बड़े बड़े राजनेता है।
तुम क्या समझती हो कि सारे के सारे नेता शराबी है, शराब पीते है? पत्नी बोली- सबका तो मुझे पता नहीं, लेकिन 80 प्रतिशत नेता पीकर ही जीते है। अरे शराब पीकर राजनेता बनकर मरने से क्या फायदा? मरना ही चाहते हो तो मुझ पर मरो, आजकल के नेता दूसरो की पत्नियों पर भी तो मर जाते हैं। तुम अपनी सगी पत्नी पर नहीं मर सकते। सच तो यह है कि तुम अब नहीं सुधर सकते।
नेता बोला- शादी के पहले मैं पिताजी के और शादी के बाद तुम्हारे पदचिह्नों पर तो चल रहा हूं। मेरा विश्वास करो कि मैं अब अपने आपको बदल रहा हूं।
पत्नी ने कहा- मेरे पिताजी ने सन् 1984 में एक नेता को मारा था, जो शक्ल से तो सीधा साधा लग रहा था, लेकिन मरने के बाद 2 लीटर शराब पाई गई थी। नेता की अंतिम इच्छा से उसके साथ शराब की 3 बोतल भी दफनाई गई थी।
नेता बोला- प्रिये मैं तो शराब से तौबा करता हूं, तुम मुझे पिटाई से कैसे बचना है, वो रास्ता बताओ।
पत्नी बोली- बिल्कुल मत डरो पिटाई से, तुम पर की गई सारी मारपीट बेकार ही जाएगी। तुम्हे जनता मारे या ना मारे, क्या जनता मुझसे ज्यादा आपको थोड़ी मार पाएगी।
नेता ने फिर पत्नी से पूछा- अगर में चुनावी सभा में किसी महिला नेत्री के साथ बैठ गया, तो तुम्हारी नींद तो नहीं उड़ जाएगी?
पत्नी ने जवाब दिया, इसकी नौबत ही नहीं आएगी। महिला नेत्री के पास आजकल बुजूर्ग नेता बैठते हैं, वो नेता मंच पर भाषण देने जाएगा, तो कोई दूसरा बुजूर्ग नेता युवा नेत्री के पास बैठ जाएगा। इस तरह तुम्हारा महिला नेत्री के पास बैठने का नंबर नहीं आएगा। नेता ने फिर पत्नी से कहा- तुम मुझे अब मंच पर जमने जमाने का तरीका बताओ, तो पत्नी ने कहा जो सत्ता में नहीं उनके गुण गाओ, सत्ता वाले को खरी खोटी सुनाओ। चुनावी सभा में बोलने का गुर है, कई साल पुराना, हर चुनावी मौसम में इसे आजमाना।
इतनी सारी तैयारियां के बाद नेता पत्नी से ज्ञान प्राप्त कर एक चुनावी सभा के लिए रवाना हुआ। तो पास खड़े नेताजी के साले साहब फुट फुट कर रोने लगे।
नेताजी ने इसका कारण पूछा, आप क्यों अपना आपा खो रहे हो साहब? धीरज रखो साले साहब, मैं बस जल्दी ही आ जाऊंगा। साले साहब ने कहा- जीयाजी, मेरे अपने आप आंखो में आंसू निकल आ रहे हैं। मुझे लगा आप कही आत्महत्या करने जा रहे हैं। नेता ने गुस्से में कहा- कम से कम किसी बात में तो देश के नेताओ का अनुसरण करू। तुम्हारी जीजी के हाथों मरने से तो अच्छा है, राजनेता बन इस देश की जनता के हाथों मरू।

सम्पत उजाला
कवि, आमेट राजसमंद
हाल पत्रकार प्रात: काल
बोईसर, मुंबई

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  • Laxman Singh Rathor in jaivardhan News

    लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Laxman Singh Rathor

लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com