Car mausoleum : गुजरात के सौराष्ट्र में गुरुवार को पाडरशिंगा गांव के पोलरा परिवार ने अपनी कार को पूरे विधि-विधान से समाधि दिलवाई। इसके लिए बाकायदा जश्न मनाया गया। पहले ढोल-नगाड़ों के साथ समाधि मार्ग पर शोभायात्रा निकाली गई। इसके बाद फूलों से सजी-धजी कार को भू-समाधि दी गई। Gujrat news today
Unique Tradition : कार मालिक संजय पोलरा ने बताया कि बीते 10 साल से मैं इस कार से चल रहा हूं। इस कार के आने मेरे दिन बदल गए। सुख-समृद्धि प्रतिष्ठा मिली। घर में खुशहाली आई, इसलिए मैं कार बेचना या कबाड़ में नहीं देना चाहता था। यह कार परिवार के लोगों के दिल से जुड़ी है। सभी इसे भाग्यशाली मानते हैं। तभी समाधि देकर इसे हमेशा के लिए अपने पास रखने का विचार आया। इस पूरे आयोजन पर करीब 4 लाख रुपए खर्च हुए अहमदाबाद-सूरत से भी लोग पहुंचे : पोलरा ने बताया, गांव में घर के करीब ही खेत और बड़ी मात्रा में खाली जमीन है। जेसीबी से इस जमीन पर करीब 12 फुट गहरा गड्ढा करवाया गया। स्लोप बनाकर कार को इसमें समाधि दी गई। पोलरा बताते हैं कि इसी जगह पौधारोपण करने का भी फैसला लिया है। पोलरा परिवार ने जश्न को यादगार बनाने के लिए निमंत्रण पत्र भी छपवाए। इस कार्ड में गणेश पूजन, माता पूजन, संतजनों की उपस्थिति, समाधि स्थल पर प्रस्थान, ज्योत दर्शन और प्रीतिभोज की रूपरेखा और समय भी दिया गया।
Car Mausoleum in Gujrat : साधू संत भी रहे मौजूद
Car Mausoleum in Gujrat : कार्यक्रम में अहमदाबाद, सूरत और करीबी गांवों से भी मेहमान पहुंचे थे। 1500 लोगों के लिए प्रीतिभोज भी रखा गया । हरेश करकरे ने कहा कि इससे पहले ऐसा न देखा, न सुना था। साधु-संतों की मौजूदगी में कार समाधि का यह पहला मामला था। स्नेहभरा आमंत्रण मिला तो खुद को रोक नहीं पाया। वहां मौजूद मेहमानों का कहना था, किसी करीबी या पालतू से जुड़ाव के तो बहुत किस्से सुने थे। कार से इस कदर लगाव पहली बार देखा। इस पर पोलरा ने कहा, ‘यह कार हमारे सुख-दुःख में साथ रही है। लोगों के लिए यह लोहे का ढांचा मात्र है पर हमारा तो यह दिल है।’ Ajab Gajab news