
Inflation reduced : आम लोगों के लिए अच्छी खबर है। मार्च 2025 में थोक महंगाई (Wholesale Price Index – WPI) घटकर 2.05% पर आ गई है, जो पिछले चार महीनों में सबसे निचला स्तर है। फरवरी में यह 2.38% थी, जबकि नवंबर 2024 में 1.89% थी। खाने-पीने की चीजों और रोजमर्रा की जरूरत के सामानों के दाम कम होने से महंगाई में यह कमी आई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 15 अप्रैल 2025 को ये आंकड़े जारी किए। आइए, जानते हैं कि थोक महंगाई के ये आंकड़े क्या कहते हैं और इसका आम जिंदगी पर क्या असर होगा।
मार्च 2025 में थोक महंगाई का 2.05% तक गिरना एक सकारात्मक संकेत है। खाने-पीने की चीजों और रोजमर्रा के सामानों के सस्ते होने से आम लोगों को राहत मिली है। हालांकि, फ्यूल और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों पर नजर रखना जरूरी है। सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आम आदमी का बजट प्रभावित न हो। अगर आप बाजार से सामान खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अभी कीमतें थोड़ी राहत दे सकती हैं।
थोक महंगाई में कमी का कारण
Wholesale Inflation : थोक महंगाई में गिरावट का सबसे बड़ा कारण खाने-पीने की चीजों और रोजमर्रा के सामानों की कीमतों में कमी है। आंकड़ों के मुताबिक:
- खाने-पीने की चीजों की महंगाई 5.94% से घटकर 4.66% हो गई। यानी, अनाज, सब्जियां, दालें और अन्य खाद्य पदार्थ पहले के मुकाबले सस्ते हुए हैं।
- रोजाना जरूरत के सामानों की महंगाई 2.81% से कम होकर 0.76% पर आ गई। इसमें साबुन, डिटर्जेंट जैसे घरेलू सामान शामिल हैं।
- फ्यूल और पावर की थोक महंगाई -0.71% से बढ़कर 0.20% हो गई। यानी, ईंधन और बिजली की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी हुई है।
- मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स (Manufactured Products) की महंगाई 2.86% से बढ़कर 3.07% हो गई। इसमें मेटल, केमिकल और प्लास्टिक जैसे सामान शामिल हैं।
इन बदलावों से साफ है कि खाद्य और रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े सामान सस्ते होने से थोक महंगाई पर सकारात्मक असर पड़ा है।
थोक महंगाई क्या है और इसका ढांचा
थोक महंगाई यानी Wholesale Price Index (WPI) उन कीमतों को मापता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। इसे तीन मुख्य हिस्सों में बांटा गया है:
- प्राइमरी आर्टिकल (Primary Articles): इसका वेटेज 22.62% है। इसमें खाद्य पदार्थ (जैसे अनाज, सब्जियां), गैर-खाद्य पदार्थ (जैसे तिलहन), खनिज (Minerals), और कच्चा तेल (Crude Petroleum) शामिल हैं।
- फ्यूल और पावर (Fuel and Power): इसका वेटेज 13.15% है। इसमें पेट्रोल, डीजल, बिजली आदि शामिल हैं।
- मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स (Manufactured Products): इसका वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। इसमें फैक्ट्रियों में बनने वाले सामान जैसे मेटल, केमिकल, रबर, और प्लास्टिक शामिल हैं।
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का वेटेज सबसे ज्यादा होने के कारण इसकी कीमतों में बदलाव का थोक महंगाई पर बड़ा असर पड़ता है।
थोक महंगाई का आम लोगों पर असर
थोक महंगाई का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ता है। जब थोक कीमतें लंबे समय तक ऊंची रहती हैं, तो उत्पादक (Producers) इसका बोझ ग्राहकों (Consumers) पर डाल देते हैं। इससे बाजार में सामानों की कीमतें बढ़ जाती हैं। लेकिन मार्च में थोक महंगाई के 2.05% तक गिरने से यह संकेत मिलता है कि खाने-पीने और रोजमर्रा की चीजों की कीमतें स्थिर रह सकती हैं।
हालांकि, अगर फ्यूल या मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ती हैं, तो भविष्य में महंगाई फिर से बढ़ सकती है। सरकार टैक्स और सब्सिडी के जरिए WPI को नियंत्रित करने की कोशिश करती है। उदाहरण के लिए, जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी थीं, तो सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) में कटौती की थी। लेकिन टैक्स में कटौती की भी एक सीमा होती है।
थोक और खुदरा महंगाई में अंतर
भारत में महंगाई दो तरह से मापी जाती है:
- खुदरा महंगाई (Retail Inflation): इसे Consumer Price Index (CPI) कहते हैं। यह उन कीमतों को मापता है, जो आम लोग दुकानों में सामान खरीदते समय चुकाते हैं। इसमें खाद्य पदार्थों (45.86%), हाउसिंग (10.07%), और फ्यूल जैसे आइटम शामिल हैं।
- थोक महंगाई (Wholesale Inflation): यह WPI पर आधारित होती है और थोक बाजार की कीमतों को मापती है। इसमें मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स (63.75%), प्राइमरी आर्टिकल (22.62%), और फ्यूल और पावर (13.15%) शामिल हैं।
खुदरा महंगाई का असर सीधे आम आदमी की जेब पर पड़ता है, जबकि थोक महंगाई उत्पादकों और कारोबारियों को प्रभावित करती है। लेकिन लंबे समय में थोक महंगाई बढ़ने से खुदरा कीमतें भी बढ़ती हैं।
क्या उम्मीद की जा सकती है?
Consumer Price Index : मार्च 2025 में थोक महंगाई के 2.05% तक गिरने से आम लोगों को राहत मिली है। खासकर खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने से घर का बजट संभालना आसान होगा। लेकिन फ्यूल और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी चिंता का विषय हो सकती है। आने वाले महीनों में कच्चे तेल की कीमतें, वैश्विक आपूर्ति, और सरकारी नीतियां महंगाई को प्रभावित करेंगी।
वित्त वर्ष 2024-25 में थोक महंगाई का हाल
महीना | थोक महंगाई दर (%) |
---|---|
अप्रैल | 1.26% |
मई | 2.61% |
जून | 3.36% |
जुलाई | 2.04% |
अगस्त | 1.31% |
सितंबर | 1.84% |
अक्टूबर | 2.36% |
नवंबर | 1.89% |
दिसंबर | 2.37% |
जनवरी | 2.31% |
फरवरी | 2.38% |
मार्च | 2.05% |
Laxman Singh Rathor को पत्रकारिता के क्षेत्र में दो दशक का लंबा अनुभव है। 2005 में Dainik Bhakar से कॅरियर की शुरुआत कर बतौर Sub Editor कार्य किया। वर्ष 2012 से 2019 तक Rajasthan Patrika में Sub Editor, Crime Reporter और Patrika TV में Reporter के रूप में कार्य किया। डिजिटल मीडिया www.patrika.com पर भी 2 वर्ष कार्य किया। वर्ष 2020 से 2 वर्ष Zee News में राजसमंद जिला संवाददाता रहा। आज ETV Bharat और Jaivardhan News वेब पोर्टल में अपने अनुभव और ज्ञान से आमजन के दिल में बसे हैं। लक्ष्मण सिंह राठौड़ सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि खबरों की दुनिया में एक ब्रांड हैं। उनकी गहरी समझ, तथ्यात्मक रिपोर्टिंग, पाठक व दर्शकों से जुड़ने की क्षमता ने उन्हें पत्रकारिता का चमकदार सितारा बना दिया है।
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