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Hair Cutter : आज देश दुनिया में चाकू कई तरह के उपलब्ध है। घर की रसोई में आम तौर पर इसका उपयोग होता है। इसके अलावा चाकू को एक औजार के तौर पर भी जाना व पहचाना जाता है। चाकू कई जगह आत्मरक्षा के लिए भी काम में आता है, तो बडे़ वृद्धों की बात माने तो बच्चों को बूरे सपने से बचाने के लिए बिस्तर में तकिए के नीचे चाकू रखा जाता है। इस तरह चाकू का एक अलग इतिहास है और अलग उपयाेगिता भी है। चाकू की वजह से आजकल कई तरह के अपराध भी घटित हो रहे हैं, जिसमें अपराधी प्रवृति के लोग लोगों की हत्या करने में भी इस्तेमाल कर देते हैं। इस तरह रसोई में सब्जी काटने से लेकर चाकू के कई जगह इस्तेमाल हो रहे हैं। इस तरह यूं कह सकते हैं कि चाकू का उपयोग पेट भरने के लिए भी होता है तो कुछ जगह पेट फाड़ने के लिए भी इस्तेमाल होने लगा है, जो घातक होता जा रहा है।

करीब 25 साल पहले इथियोपिया की गोना घाटी में 25 लाख वर्ष पुराने चाकूनुमा औजारों के अवशेष मिले थे। इस तरह की खोज उस जमाने में चाकू की अहमियत को बताती है जब इंसान पत्थरों के बीच रहता, उनसे खेलता और उनके जरिए ही भोजन जुटाता था। उस दौर के छोटे पत्थर से बने ब्लेड्स (Blades) से लेकर आज स्टील से बनी छुरी, तलवार तक चाकू ने कई पड़ावों को पार किया। पत्थर से बने छोटे क्लीवर और स्क्रेपर, कांसे और तांबे से बने चाकू की जगह अब लोहे से बने खंजर, कटार और स्टील से बने चाकू दुनिया भर में काम में लाए जाते हैं। इस तरह चाकू की अजब गजब कहानी है। आज देश दुनिया में कई अपराध में चाकू का इस्तेमाल हो रहा है। हमारे भारत देश में चाकू के अपराधिक उपयोग या आशंका को लेकर विशे कानून भी बना हुआ है, जिसमें व्यक्ति को 10 साल तक की सजा तक का प्रावधान है।

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Unique Hair Cutter : 480 परत वाला व बाल चीरने वाला भी है चाकू

पुराने जमाने में सीरिया के लोहारों का चाकू और तलवार बनाने के मामले में कोई सानी नहीं था। इन्हीं के तरीके को समझते हुए एक जर्मन लोहार लार्स शाइडलर (Lars Scheidler) ने दुनिया का सबसे तेज चाकू बनाया। शाइडलर ने अपने साथियों की मदद से चाकू बनाने के लिए कई परतों से बनी प्लेट को चपटा कर 30 सेंटीमीटर तक की लंबाई की और फिर चमकते स्टील को एक दूसरे के ऊपर चढ़ाया। इसके बाद 480 परतें बनने तक ऐसा ही किया। इस तरह से शाइडलर ने सबसे तेज धार वाला और सबसे महंगा चाकू बनाया। शाइडलर के बनाए एक चाकू की कीमत 4 हजार यूरो यानी करीब तीन लाख रुपए है। इसकी धार 1 मिलीमीटर के हजारवें हिस्से जितनी बारीक है। इतनी पतली कि इंसान के बाल को भी दो हिस्सों में चीर सकती है।

जापान के चाकू इतने फेमस हैं कि देश के टॉप रेस्टोरेंट्स में जापान के चाकुओं का ही इस्तेमाल होता है, जिनमें Le Bernardin भी शामिल है। इन चाकुओं में धार के साथ चाकू की ब्लेड पर किए जाने वाला डिजाइन भी काफी लोकप्रिय है और इसे बनाने में काफी टाइम भी लगता है। इसीलिए जब भी चाकू की बात होती है तो जापान के चाकुओं का जिक्र जरूर होता है। वीडियो प्लेटफॉर्म पर जापान के चाकुओं के वीडियो भी काफी वायरल होते हैं, जिसमें वहां के शेफ उनका इस्तेमाल करते नज़र आते हैं। वैसे जापान के शेफ जिन चाकुओं का इस्तेमाल करते हैं, वो काफी अलग और तेज धार वाले चाकू होते हैं, जिनसे काफी महीन चीजें आसानी से काटी जा सकती हैं। वैसे तो जापानी चाकू की कीमत हर प्रोडक्ट के आधार पर तय की जाती है। यह उसके डिजाइन और ड्यूरेबिलिटी पर भी निर्भर करता है। ऐसे चाकू के लिए लोग 80 हजार रुपए भी आसानी से चुकाते हैं।

Metal are knives made of? : कई तरह के धातुओं से बनते हैं चाकू

मेटल को गर्म करने और हथौड़े से मार मारकर उसे चाकू बनाकर उसमें धार लगाने और यूनिक डिजाइन देने का प्रोसेस काफी लंबा होता है। यह खास टैलेंट है, जो जापान का हर कारीगर जीवन भर सीखता है। कई कारीगर तो कई साल से चाकू बना रहे हैं। ये चाकू एक दो साल नहीं बल्कि कई पीढ़ियों तक काम में लिए जाते हैं और लोग बस इसमें धार लगवाकर इस्तेमाल करते रहते हैं। अगर यूरोप के शेफ के चाकू से जापानी चाकू की तुलना करें तो जारावी ब्लेड हल्के और तेज होते हैं, जिससे कोई भी चीज अच्छे से काटी जा सकती है। इनके ब्लेड्स भी काफी महंगे होते हैं और डिजाइन के साथ बना होने पर इनकी कीमत और बढ़ जाती है। इसमें मैटेरियल, हैमरिंग और ग्रांइंडिंग का खास काम होता है, जिसकी वजह से इन चाकुओं की डिमांड रहती है।

चाकू में दो खास चीजें रहती हैं- ब्लेड और हैंडल। जब आप चाकू सेट खरीद रहे हों तो इसकी पकड़ (ग्रिप) को परखना न भूलें। हर चाकू की ग्रिप अलग-अलग होती है और उसका उपयोग सही ढंग से हो पाएगा या नहीं, इसकी रोजमर्रा के खाना बनाने के काम में बड़ी अहमियत है। अगर आपको चाकू का हत्था (मूंठ) पसंद नहीं है तो आपके पास इसे वापस करने का ऑप्शन होता है। यह भी जांचना चाहिए कि जो महंगा चाकू आप खरीद रहे हैं, वो लंबे समय तक काम कर पाएगा या नहीं।

Knife work : दुनिया के 22 फीसदी क्राइम में चाकू

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) की 2019 में होमिसाइड यानी मानव हत्या पर जारी एक ग्लोबल स्टडी में पाया गया है कि साल 2017 में 97,183 मानव हत्या में अपराधियों की पहली पसंद चाकू था। यह आंकड़ा विश्व में हुए कुल मानव हत्या का 22 फीसदी है।इस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी अमेरिका में कुल मानव हत्याओं का 76 फीसदी फायर आर्म से हुआ तो 20 फीसदी से थोड़ा कम मानव हत्याओं में किसी न किसी तरह के चाकू का इस्तेमाल किया गया। जबकि यूरोप में इसका उल्टा देखने को मिला है। यहां 20 फीसदी मानव हत्याओं में बंदूकों का इस्तेमाल हुआ तो वहीं करीब 40 फीसदी इंसानी जानें चाकू के जरिए ली गईं। इस रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि चाकू से होने वाले क्राइम दुनिया के हर देश में किए जाते हैं भले ही वह कितना भी सुरक्षित क्यों न माना जाता हो। हालांकि, चाकू से किए जाने वाले अपराधों की संख्या में क्षेत्र के अनुसार कमी बेशी हो सकती है।

Rampuri knife : रामपुरी के लिए लेना पड़ता है लाइसेंस

रामपुरी चाकू मैग्नेटिक फील्ड तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया जाता है। जैसे ही बटन दबा चाकू का धार वाला हिस्सा खटाक से बाहर निकल आता है। नाम से ही जाहिर है कि इस चाकू का ईजाद यूपी के रामपुर में हुआ। रामपुर नवाबों के दरबारी लोहारों ने रामपुरी चाकू बनाना शुरू किया था। 9 –12 इंच लंबे इस चाकू के हत्थे पर कारीगरी इसकी खासियत है। 1970-1990 के दौर की बॉलीवुड फिल्मों में भी विलेन के पास रामपुरी चाक़ू देखने को मिलता था। 1990 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आर्म्स एक्ट 1959 के तहत रामपुरी चाकू के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। साथ ही उसकी लंबाई भी 4.5 इंच तय कर दी। अब रामपुरी चाकू बनाने और रखने के लिए लाइसेंस लगता है। आज रामपुर में ये चाकू बनाने वाले मात्र दो या तीन कारीगर ही बचे हैं।

 knife : चाकू को लेकर भारत देश में खास कानून

law regarding knives : आर्म्स एक्ट 1959 की धारा 4,7 व 25 के तहत खतरनाक हथियार रखना वर्जित है। पिस्तौल, गोला-बारूद, चाकू, तलवार, कटार, भाला, कृपाण, खुखरी तथा अन्य धारदार हथियार जिसके ब्लड की लंबाई 9 इंच से अधिक हो और चौड़ाई 2 इंच से अधिक हो, बिना किसी सरकारी अनुमति के रखना एक गंभीर अपराध है। इस प्रकार के हथियार जिला अधिकारी की अनुमति से ही रखे जा सकते हैं। या अनुमति पत्र लाइसेंस कहलाता है। इन हथियारों को रखना धारण करना बनाना बेचना या इन हथियारों की मरम्मत तथा जांच करना इस अपराध के अंतर्गत आता है और दंडनीय किए हैं। घरेलू इस्तेमाल का चाकू इन हथियारों में नहीं आता। खेती के उपकरण वैज्ञानिक तथा औद्योगिक उद्देश्य के लिए उपकरण भी इस अपराध की परिधि में नहीं आते हैं। आर्म्स एक्ट के तहत सब्जी काटने वाला चाकू ही रखा जा सकता है, लेकिन वह बटन चाकू नहीं होना चाहिए। नौ इंच से अगर ज्यादा साइज का है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध का दंड कम से कम 5 वर्ष और अधिक से अधिक 10 वर्ष तक का कारावास तथा जुर्माना हो सकता है।