Bhartiyabhata Village https://jaivardhannews.com/mysterious-village-people-turned-into-stones/

Mysterious village : छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित बरतियाभाटा गांव अपनी रहस्यमयी कहानियों के लिए जाना जाता है। यहाँ के लोगों का मानना है कि सैकड़ों साल पहले एक बारात इस गांव में रुकी थी और किसी अज्ञात कारणवश सभी बाराती पत्थरों में बदल गए थे। गांव में आज भी दूर-दूर तक आदमकद पत्थरों की मूर्तियां देखी जा सकती हैं, जो विभिन्न मुद्राओं में जमीन पर गड़ी हुई हैं। कुछ पत्थरों को घोड़े और हाथी की आकृति में भी देखा जा सकता है। यह घटना सच है या नहीं, इस पर वैज्ञानिकों का कोई मत नहीं है। लेकिन यह रहस्य पर्यटकों को अपनी ओर ज़रूर आकर्षित करता है।

Baratiyabhata village : बलिदान का श्राप?

Baratiyabhata village : बरतियाभाटा गांव के बुजुर्गों द्वारा सुनाई जाने वाली कहानी राजा की बारात से जुड़ी है। भारी संख्या में बाराती, हाथी, घोड़े, ढोल-नगाड़े और हथियारों से सुसज्जित यह बारात धूमधाम से गांव से गुजर रही थी। रात को विश्राम करने के बाद, अगले दिन सुबह स्नान और देवी पूजा के बाद, बलिदान की एक घटना ने सब कुछ बदल दिया। यह बलिदान किस देवी को दिया गया था, इस पर कहानियां भिन्न हैं। कुछ कहते हैं कि यह देवी काली थीं, जबकि कुछ का मानना है कि यह स्थानीय ग्रामदेवी थीं। परिणाम स्वरूप, एक भयानक घटना घटी और सभी बाराती पत्थर में बदल गए। यह कहानी कितनी सच है, यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है। लेकिन गांव में आज भी मौजूद पत्थर की मूर्तियां इस कहानी को जीवित रखती हैं। कुछ मूर्तियां इंसानों के आकार की हैं, जबकि कुछ हाथी और घोड़ों के आकार की हैं। यह दृश्य देखने में विचित्र और रहस्यमय है, जो गांव के इतिहास और संस्कृति की एक झलक प्रदान करता है। बरतियाभाटा की यह घटना हमें बलिदान के नैतिक पहलुओं पर सोचने पर मजबूर करती है। क्या यह सचमुच देवी का कोप था जिसने बारातियों को पत्थर में बदल दिया? या फिर इस घटना के पीछे कोई अन्य वैज्ञानिक या ऐतिहासिक कारण था? यह एक ऐसा रहस्य है जो आज भी बुजुर्गों की कहानियों और गांव की मूर्तियों में छिपा हुआ है। Strange Village

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Mahasamund : तपस्वी का क्रोध और पत्थरों में बदली बारात

Mahasamund : बरतियाभाटा गांव से जुड़ी एक और लोकप्रिय कथा एक तपस्वी के श्राप की कहानी है। कहा जाता है कि जब राजा की बारात गांव में रुकी थी, तो उन्होंने बलिदान के लिए एक बकरे को चुना। बलिदान की जगह तपस्वी की कुटिया के पास ही थी। तपस्वी सात्विक जीवन जीते थे और रक्तपात का दृश्य देखकर वे क्रोधित हो गए। उन्होंने तुरंत पूरी बारात को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। श्राप का असर तत्काल हुआ और देखते ही देखते सभी बाराती, जानवर, वाद्य यंत्र और सारा सामान पत्थर में बदल गया। कहा जाता है कि इस घटना के बाद उस स्थान को “बरतियाभाटा” नाम दिया गया, जिसका अर्थ है “बरातियों का ठिकाना”। समय के साथ, इस बंजर जमीन पर एक गांव बस गया, जो आज भी बरतियाभाटा के नाम से जाना जाता है।

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Unique Village : कब्रिस्तान या पत्थरों में बदली बारात?

Unique Village : बरतियाभाटा गांव की रहस्यमयी कहानी में एक और मोड़ पुरातत्व विभाग की जांच से जुड़ा है। विभाग ने इस जगह को एक प्राचीन कब्रिस्तान माना है। विभाग के अनुसार, यहाँ पाए गए पत्थर महाश्म हैं जिन्हें संभावतः लाकर गाड़ा गया था। इनकी उम्र दो से तीन हज़ार साल भी हो सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि यह आदिवासियों का कब्रिस्तान है, जहाँ लोगों की स्मृति में पत्थर और उनका सामान गाड़ा गया था। इस बात का समर्थन पास के आदिवासी होस्टल के निर्माण के दौरान मिले सबूतों से भी होता है। जब कुछ पत्थरों को उखाड़ा गया, तो उनके नीचे बरछी, भाले और तीर जैसे हथियार भी मिले। हालांकि पुरातत्वविद इसे कब्रिस्तान मानते हैं, लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि ये हथियार बारात के पत्थर बनने की उनकी धारणा को पुष्ट करते हैं।