Rupee Hits Low : भारत की करेंसी रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपया 63 पैसे की गिरावट के साथ 86.60 के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। इस गिरावट से निवेशकों और अर्थशास्त्रियों के बीच चिंता का माहौल बन गया है, क्योंकि अगले कुछ महीनों में रुपया और भी कमजोर हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025-26 के वित्तीय वर्ष में रुपया डॉलर के मुकाबले 88 तक गिर सकता है, जो कि मौजूदा स्तर से लगभग 1.50 रुपये की और गिरावट को दर्शाता है।
Why is the rupee falling? : रुपया क्यों गिर रहा है?
Why is the rupee falling? : भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट का शिकार हो रहा है, और इस गिरावट के कई कारण हैं। सबसे पहले, विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिकवाली ने डॉलर की मांग बढ़ा दी है, जिससे रुपया कमजोर हो रहा है। इसके साथ ही, इम्पोर्टर्स (आयातकों) द्वारा डॉलर की डिमांड बढ़ने से भी रुपए पर दबाव बढ़ा है।
इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के इंडेक्स में मजबूती का भी असर पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों के बाद डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी में गिरावट आई है। डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उनके आने वाले कार्यकाल के दौरान डॉलर की मजबूती को लेकर उम्मीदें जताई जा रही हैं। इसके कारण, रुपये की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।
Rupee falls to all-time low : 88 के स्तर तक गिर सकता है रुपया
Rupee falls to all-time low : निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया है कि 2025-26 के वित्तीय वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपया औसतन 88 तक जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि डॉलर को और मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन भारतीय रुपये की स्थिति में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
यह स्थिति तब और गंभीर हो सकती है जब डॉलर इंडेक्स में मजबूती का सिलसिला जारी रहेगा। यदि डॉलर की स्थिरता बनी रहती है, तो भारत जैसे उभरते बाजारों की करेंसी को और दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
Rupee hits Low against U.S. dollar : विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी
Rupee hits Low against U.S. dollar : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी इन हालातों से प्रभावित हुआ है। 3 जनवरी 2025 को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 634.58 अरब डॉलर पर आ गया है। 27 सितंबर 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर था। अब इस भंडार में 70 अरब डॉलर की कमी आई है।
यह कमी विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण आई है, जिनकी वजह से डॉलर की मांग बढ़ी है। साथ ही, आरबीआई ने डॉलर की बिक्री करके रुपये की गिरावट को थामने की कोशिश की है, लेकिन इसका असर अब विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के रूप में देखा जा रहा है।
Why did rupee weak? : रू रुपये की कमजोरी के लिए जिम्मेदार कारण
Why did rupee weak? : रुपये की गिरावट के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण डॉलर की बढ़ती मांग है। जब आयातकों को डॉलर की जरूरत होती है, तो इसकी मांग बाजार में बढ़ जाती है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ता है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भी रुपये को कमजोर किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों के बाद डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट शुरू हुई। डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ और अब उनके सत्ता में आने के बाद डॉलर और भी मजबूत हो सकता है। 20 जनवरी 2025 को ट्रंप का शपथ ग्रहण होने वाला है, और इससे पहले रुपया और भी कमजोर हो सकता है।
impact of falling rupee? : रुपया गिरने से क्या प्रभाव पड़ता है?
impact of falling rupee? : रुपये की गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था और आम नागरिकों के लिए कई प्रकार के प्रभाव लेकर आती है। सबसे पहले, आयात महंगे हो जाते हैं, जिससे विदेशों से आने वाले सामान की कीमतें बढ़ जाती हैं। इस बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ता है। पेट्रोल और डीजल जैसी वस्तुओं की कीमतें भी रुपया कमजोर होने के कारण बढ़ सकती हैं, क्योंकि भारत अधिकांश ऊर्जा संसाधनों का आयात करता है।
इसके अलावा, विदेशी निवेशकों का भी भारत के शेयर बाजार में निवेश करने पर असर पड़ सकता है। यदि रुपया लगातार गिरता रहा तो विदेशी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करना महंगा हो सकता है, और वे भारत से अपना पैसा निकाल सकते हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है और बाजार की अस्थिरता बढ़ सकती है।
How will rupee strengthen? : क्या हो सकता है रुपया फिर से मजबूत?
How will rupee strengthen? : हालांकि, वर्तमान में रुपया कमजोर होता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन आने वाले समय में कुछ सुधार की संभावना भी हो सकती है। अगर भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है और विदेशी निवेशकों का विश्वास लौटता है, तो रुपया फिर से मजबूत हो सकता है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी नीतियों के माध्यम से रुपये की गिरावट को रोकने के लिए उपाय कर सकता है।
रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है और आने वाले समय में इसके और कमजोर होने के आसार हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें विदेशी निवेशकों की बिकवाली, डॉलर की मांग में वृद्धि, और अमेरिकी डॉलर के इंडेक्स की मजबूती शामिल हैं। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के उपायों से रुपये की स्थिति में सुधार हो सकता है, लेकिन फिलहाल रुपया कमजोर रहने के संकेत हैं। निवेशकों को इस स्थिति को समझते हुए अपने निवेश निर्णय लेने चाहिए।