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Salaried class in debt : भारत का नौकरीपेशा वर्ग पहले के मुकाबले और ज्यादा कर्ज में डूबता जा रहा है। पिछले दो साल में कर्ज लेने वालों का आंकड़ा और बढ़ गया है। बैंकबाजार के एस्पिरेशन इंडेक्स के मुताबिक, भारत में नौकरी करने वाले ज्यादातर लोगों के ऊपर 25 लाख रुपए तक का कर्ज है। 25 लाख रुपए तक के लोन लेने वालों का आंकड़ा अब 91.2% हो चुका है। पिछले साल तक यह आंकड़ा 88% था। मेट्रो शहरों में बिना कर्ज के जी रहे लोगों का आंकड़ा बहुत ही कम रह गया है। केवल 13.4% नौकरीपेशा कर्जमुक्त हैं, जिनकी संख्या 2022 में 19% थी।

Economy OF India : अर्ली रिटायरमेंट की चाहत

Economy OF India : 31.4% नौकरीपेशा चाहते हैं अर्ली रिटायरमेंट, जिनकी संख्या पिछले साल 28% थी, हालांकि रिटायरमेंट प्लानिंग बड़ी चुनौती। 57% महिला नौकरीपेशा म्यूचुअल फंडस में निवेश करती है, ऐसे पुरूषों की संख्या 65 प्रतिशत से अधिक है। 58% नौकरीपेशा लोगों के पास ही रिटायरमेंट कॉपरस है, इनमें से 56% की कुल सेविंग 1 करोड़ रुपए से कम है। 59% महिलाओं के पास रिटायरमेंट कॉपरस है। Debt on Indian Man

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Financial problem : घर खरीदना प्राथमिकता

Financial problem : सर्वे के अनुसार, भारतीय वर्कफोर्स में घर खरीदना सबसे पहली प्राथमिकता है। इसके बाद सैलरीड क्लास स्वास्थ्य, रिश्तों, प्रसिद्धि व तरक्की पर पैसा खर्च करना चाहते हैं। युवाओं में अपना रोजगार करने की चाहत भी बढ़ी हैं। वो अपना स्टार्टअप करना चाहते हैं। इस मामले में महिलाएं आगे हैं। पूर्वी भारत में नौकरी करने वाले एजुकेशन लोन, दक्षिण भारत में कार लोन और उत्तर एवं पश्चिम भारत में होम लोन ज्यादा लेना चाहते हैं। सर्वे के अनुसार, लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सबसे ज्यादा नौकरी कर रहे लोग ही करते हैं। साथ ही ये ऑनलाइन खरीदारी भी करते हैं।

Loan Debt : इन कारणों से बढ़ रहा कर्ज

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