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Mahashivratri : शिव, संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है, कल्याणकारी या शुभकारी। यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है। शिव का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला। प्रतिवर्ष महाशिवरात्र का पर्व श्रद्धा, परम्परा से मनाया जाता है। भोलेनाथ के मंदिरों को लाइट डेकोरेशन से सजाया जाता है, तो शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना कर आकर्षक शृंगार धराने व विविध फल व पकवानों का भोग धराकर लोग सुख समृद्ध की कामना करते हैं। महाशविरात्र से पहले हमें शिवलिंग, शिव, शंभू, भोलेनाथ के अर्थ को समझने की जरूरत है। Interesting story of the life of Bholenath

bhole baba : क्या है शिवलिंग

शिव की दो काया है, एक वह जो स्थूल रूप से व्यक्त किया जाए। दूसरी वह जो सूक्ष्म रूपी अव्यक्त लिंग के रूप में जानी जाती है। शिव की सबसे ज्यादा पूजा लिंग रूपी पत्थर के रूप में ही की जाती है। लिंग शब्द को लेकर बहुत भ्रम होता है, संस्कृत में लिंग का अर्थ है चिह्न। इसी अर्थ में यह शिवलिंग के लिए इस्तेमाल होता है। शिवलिंग का अर्थ है- शिव यानी परमपुरुष का प्रकृति के साथ समन्वित चिह्न।

mahashivratri 2024 : शिव, शंकर, महादेव…

शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव शंकर भोलेनाथ, इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में दोनों की प्रतिमाएं अलग अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश (महेश भी शंकर का ही नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की है। इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर उनकी एक रचना। भगवान शिव को इसीलिए महादेव भी कहा जाता है। इसके अलावा शिव को 108 दूसरे नामों से भी जाना और पूजा जाता है।

bhole baba : अद्र्धनारीश्वर क्यों ?

शिव को अद्र्धनारीश्वर भी कहा गया है। इसका अर्थ यह नहीं है कि शिव आधे पुरुष ही हैं या उनमें संपूर्णता नहीं है। दरअसल यह शिव ही हैं, जो आधे होते हुए भी पूरे हैं। इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानी स्त्री पुरुष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं। इनके मिलन और सृजन से यह संसार संचालित और संतुलित है। दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। नारी प्रकृति है और नर पुरुष, प्रकृति के बिना पुरुष बेकार है और पुरुष के बिना प्रकृति, दोनों का अन्योन्याश्रय संबंध है, अर्धनारीश्वर शिव इसी पारस्परिकता के प्रतीक हैं। आधुनिक समय में स्त्री पुरुष की बराबरी पर जो इतना जोर है, उसे शिव के इस स्वरूप में बखूबी देखा समझा जा सकता है। यह बताता है कि शिव जब शक्ति युक्त होता है, तभी समर्थ होता है। शक्ति के अभाव में शिव शिव न होकर शव रह जाता है।

mahashivratri status : नीलकंठ क्यों ?

अमृत पाने की इच्छा से जब देव दानव बड़े जोश और वेग से मंथन कर रहे थे, तभी समुद से कालकूट नामक भयंकर विष निकला। उस विष की अग्नि से दसो दिशाएं जलने लगीं। समस्त प्राणियों में हाहाकार मच गया, देवताओं और दैत्यों सहित ऋषि मुनि, मनुष्य, गंधर्व और यक्ष आदि उस विष की गरमी से जलने लगे। सभी की प्रार्थना पर भगवान शिव विषपान के लिए तैयार हो गए। उन्होंने भयंकर विष को हथेलियों में भरा और भगवान विष्णु का स्मरण कर उसे पी गए। भगवान विष्णु अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं। उन्होंने उस विष को शिवजी के कंठ (गले) में ही रोक कर उसका प्रभाव खत्म कर दिया। विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और वे संसार में नीलकंठ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

happy mahashivratri : भोले बाबा

शिव पुराण में एक शिकारी की कथा है। एक बार उसे जंगल में देर हो गई। तब उसने एक वृक्ष पर रात बिताने का निश्चय किया। रात में जगे रहने के लिए उसने एक तरकीब सोची, वह सारी रात एक एक पत्ता तोडक़र नीचे फेंकता रहा। संयोग से वह बिल्व वृक्ष था। कथानुसार, बेल के पत्ते शिव को बहुत प्रिय हैं, बेल वृक्ष के ठीक नीचे एक शिवलिंग था। अनायास, शिवलिंग पर प्रिय पत्तों का अर्पण होते देख शिव प्रसन्न हो उठे, जबकि शिकारी को अपने शुभ काम का अहसास भी न था। उन्होंने शिकारी को दर्शन देकर उसकी मनोकामना पूरी होने का वरदान दिया। कथा से यह साफ है कि शिव कितनी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। शिव महिमा की ऐसी कथाओं और बखानों से पुराण भरे पड़े हैं।

mahashivratri images शिव स्वरूप

भगवान शिव का रूप स्वरूप जितना विचित्र है, उतना ही आकर्षक भी है। शिव जो धारण करते हैं, उनके भी बड़े व्यापक अर्थ हैं।

  • जटाएं : शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं।
  • चंद्र : चंद्रमा मन का प्रतीक है, शिव का मन चांद की तरह भोला, निर्मल, उज्ज्वल और जाग्रत है।
  • त्रिनेत्र : शिव की तीन आंखें हैं। इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं।
  • शिव की ये आंखें : सत्व, रज, तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान, भविष्य (तीन कालों), स्वर्ग, मृत्यु, पाताल (तीनों लोक) का प्रतीक हैं।
  • सर्पहार : सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है। सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है, जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है।
  • त्रिशूल : शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है, त्रिशूल जो भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करता है।
  • डमरू : शिव के एक हाथ में डमरू है, जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं। डमरू का नाद ही ब्रह्मानाद रूप है।
  • मुंडमाला : शिव के गले में मुंडमाला है, जो इस बात का प्रतीक है कि शिव ने मृत्यु को वश में किया हुआ है।
  • छाल : शिव ने शरीर पर व्याघ्र चर्म यानी बाघ की खाल पहनी हुई है। व्याघ्र हिंसा और अहंकार का प्रतीक माना जाता है। इसका अर्थ है कि शिव ने हिंसा और अहंकार का दमन कर उसे अपने नीचे दबा लिया है।
  • भस्म : शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है, शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है। भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है।
  • वृषभ : शिव का वाहन वृषभ यानी बैल है। वह हमेशा शिव के साथ रहता है, वृषभ धर्म का प्रतीक है। महादेव इस चार पैर वाले वृषभ (जानवर) की सवारी करते हैं, जो बताता है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से ही मिलते हैं

इस तरह शिव स्वरूप हमें बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है। महिमा अपरंपार है औऱ उनमें ही सारी सृष्टि समाई हुई है।

mahadev : महामृत्युंजय मंत्र

शिव के साधक को न तो मृत्यु का भय रहता है, न रोग का, न शोक का, शिव तत्व उनके मन को भक्ति और शक्ति का सामथ्र्य देता है। शिव तत्व का ध्यान महामृत्युंजय मंत्र के जरिए किया जाता है। इस मंत्र के जाप से भगवान शिव की कृपा मिलती है, शास्त्रों में इस मंत्र को कई कष्टों का निवारक बताया गया है।

यह मंत्र यों हैं :
हों जूं स:, र्भू भुव: स्व:
त्र्यम्बकं यजामहे, सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
स्व: भुव: र्भू, स: जूं हों ।।

मंत्र भावार्थ : हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन पोषण करते हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसी तरह से जैसे एक खरबूजा अपनी बेल में पक जाने के बाद उस बेल रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाता है।

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डॉ. तत्सवितु व्यास
सु जोक थेरेपिस्ट (एक्यूप्रेशर)
एवं प्राकृतिक सलाहकार
मो. 98272 78715

mahashivratri quotes in hindi : इन खूबसूरत संदेशों के जरिए दें शुभकामनाएं

भगवान शिव की दिव्य महिमा
हमें हमारी क्षमताओं की याद दिलाती है
भोले का नाम लेकर बढ़ें आगे
क्योंकि यही महिमा हम सभी को
सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।

आपको 2024 की महाशिवरात्री की शुभकामनाएं!

महाशिवरात्रि के शुभ दिन को खुशी के साथ मनाएं
भगवान शिव का आशीर्वाद ग्रहण करें
और बाबा के जश्न में सब रम जाएं।

हैप्पी महाशिवरात्रि 2024

सर्वशक्तिमान भगवान शिव
मेरे भोले बाबा का दिन झूमो,
नाचों यह शिव की महारात्रि है।

Happy Shivratri

“महाशिवरात्रि शिव की महान रात्रि है।
यदि आप इस पवित्र रात में जागरूरकता बनाए रखते हैं, तो
यह आपके जीवन में जबरदस्त खुशहाली लाएगा।”

हैप्पी महाशिवरात्रि 2024

“हर हर महादेव! आशा है बाबा का आशीर्वाद मिलेगा
वह आपके जीवन से सभी बाधाओं को दूर करें
महादेव आपको शक्ति और ज्ञान प्रदान करें।”

हैप्पी महाशिवरात्रि 2024

शिव पहाड़ों में मौन और हवा में ऊर्जा हैं,
वह सादगी और शक्ति हैं
वह ध्यान हैं और वहीं सर्वशक्तिमान हैं।

महाशिवरात्रि की मंगल शुभकामनाएं

अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करें चाण्डाल का
काल भी उसका क्या बिगाड़े
जो भक्त हो महाकाल का

महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं

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