महाराणा प्रताप की जन्म व कर्म स्थली से पर्यटकों को जोड़ने की योजना 16 साल से फाइलों में दबी

ByParmeshwar Singh Chundawat

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लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

देश दुनिया को स्वाभीमान की सीख देने वाले महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुंभलगढ़, कर्म स्थली हल्दीघाटी व दिवेर के विजय स्मारक से पर्यटकों को जोड़ने के लिए राजसमंद जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई पर्यटन चौपाल की योजना 16 साल से फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई हैँ। पर्यटकों को बढ़ावा देने और महाराणा प्रताप के आदर्श को जन जन तक पहुंचाने के प्रयास फाइलों में दफन होकर रह गए हैँ। इस ओर न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कोई ध्यान दे रहे हैं और न ही पर्यटन विभाग से लेकर जिला प्रशासन ही गंभीर है। इस कारण करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद हल्दीघाटी स्मारक, दिवेर के विजय स्मारक पर पर्यटकों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में अब तक करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद सरकार द्वारा जो प्रयास किए गए हैं, उसकी कोई सार्थकता नहीं रह गई हैँ।

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यह है पर्यटन चौपाल योजना

राजसमंद जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों का व्यू (नजारा) दिखाने के लिए कुंभलगढ़ में प्रस्तावित पर्यटन चौपाल (लाइबरेरी) नौ साल से फाइलों में ही अटक कर रह गई है। केन्द्र सरकार से 40 लाख रुपए का बजट भी स्वीकृत हो गया, मगर जगह के चयन पर एक राय नहीं हो पाई, जिससे चौधरी चरणसिंह की स्मृति में बनने वाली पर्यटन चौपाल का पैसा ही लेप्स हो गया। पर्यटकों को आकर्षित कर पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने तथा दुर्ग पर आने वाले पर्यटकों को परशुराम महादेव, वेरो का मठ, हल्दीघाटी राष्ट्रीय स्मारक, गोरमघाट, विजय स्मारक सहित ऐतिहासिक, धार्मिक व प्राकृतिक स्थलों का नजारा दिखाते हुए रूट व दूरी से अवगत कराना था। प्रशासन ने जगह आवंटित की, तो भी दुर्ग से काफी दूर गवार पंचायत के बीड़ की भागल में कर दी। जिससे वहां पर्यटकों के लिए जाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है।

वर्ष 2008 में बना था टूरिस्ट सर्किट प्लान

नाथद्वारा आने वाले वैष्णवों व पर्यटकों को यह बताने के लिए कि जिले में भ्रमण के लिए कई ऐतिहासिक, धार्मिक व प्राकृतिक स्थल है। इसलिए प्रशासन ने 16 फरवरी, 2008 को जिला पर्यटन विकास समिति की बैठक में टूरिस्ट सर्किट प्लान बनाया। क्योंकि पर्यटक अक्सर जानकारी के अभाव में नाथद्वारा आकर ही लौट जाते हैं, जिन्हें अन्य पर्यटन स्थलों की तरफ ले जाकर पर्यटन को बढ़ावा देना था। पर्यटकों को विभिन्न पर्यटन स्थलों की सैर करवाकर वापस नाथद्वारा छोडऩा था।

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देखिए 4 दिन तक तय किया था टूरिस्ट सर्किट प्लान  

  • पहला दिन : पर्यटकों व दर्शनार्थियों को श्रीनाथजी के मंगला दर्शन व शृंगार दर्शन के बाद सुबह 10 बजे नाथद्वारा से रवाना होकर श्री द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में राजभोग दर्शन, नौचोकी पाल, चारभुजा दर्शन, केलवाड़ा, कुंभलगढ़ दुर्ग के बाद शाम 8 बजे नाथद्वारा आकर रात्रि विश्राम।
  • दूसरा दिन : पर्यटकों को श्रीनाथजी के मंगला दर्शन के बाद सुबह 10 बजे नाथद्वारा से रवाना होकर मोलेला मार्ग पर हरिरायजी की बैठक, रक्त तलाई, मचींद महल, शाहीबाग, हल्दीघाटी दर्रा, चंदन वन, चेतक समाधि, महाराणा प्रताप संग्रहालय, घसियार में श्रीनाथजी के दर्शन कर उदयपुर के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों की सैर, शाम 7 बजे कैलाशपुरी में एकलिंगनाथ के दर्शन कर शाम 9 बजे नाथद्वारा पहुंचकर रात्रि विश्राम।
  • तीसरा दिन : पर्यटकों को श्रीनाथजी के दर्शन के बाद सुबह नाथद्वारा से रवाना होकर श्री द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में राजभोग दर्शन, नौचोकी पाल, नौका विहार, सिंचाई विभाग गार्डन में भ्रमण कर गढबोर, रोकडिय़ा हनुमान मंदिर, सैवंत्री रूपनारायण भगवान के दर्शन, लक्ष्मण झुला भ्रमण कर वापस लालबाग व ग्रामीण हाट बाजार लालबाग नाथद्वारा में भ्रमण व श्री गोवर्धन पर्वत परिक्रमा के बाद नाथद्वारा में रात्रि विश्राम।
  • चौथा दिन : पर्यटकों को सुबह श्रीनाथजी के दर्शन के बाद सरदारगढ़ महल, दिवेर विजय स्मारक, छापली, गोरमघाट, कुंभलगढ़ में जरगाजी, ठण्डी बेरी, भील बेरी से बाघेरी नाका होकर नाथद्वारा पहुंच कर रात्रि विश्राम।