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Chand Wala Bakra : एक बकरे के शरीर पर चांद व तारे का निशान क्या हो गया, उसकी तो लग्जरी लाइफ हो गई। उसे घर बैठे हरी घास, देसी घी में दलिया खिलाते हैं, तो सुबह चने का नाश्ता करता है। फिर उसे शैम्पू से नहलाते भी है। इस तरह की लग्जरी परवरिश के चलते यह चांद व तारे वाला बकरा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस परवरिश के पीछे की कहानी भी हैरान कर देने वाली है। यह बकरा राजस्थान में राजसमंद जिले के भीम उपखंड के बरार पंचायत में खेदरा गांव में है, जहां पर देसी नस्ल के दो वर्षीय बकरे की परवरिश में पूरा परिवार जुटा हुआ है।

जानकारी के अनुसार बकरीद को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा शरीर पर चांद व तारे के निशान वाले बकरे की डिमांड की जाती है। हालांकि बकरीद जून में है और अभी रमजान का पवित्र माह चल रहा है, लेकिन लग्जरी लाइफ स्टाइल को लेकर भीम में यह बकरा चर्चा का विषय बना हुआ है। बकरे के पेट पर एक तरफ चांद का निशान है और दूसरी तरफ तारे का निशान जन्म से है। राजसमंद जिले के बरार पंचायत के खेदरा निवासी पशुपालक टीलसिंह पुत्र नारायणसिंह के घर इस बकरे की देखरेख बड़े अदब से की जा रही है। टीलसिंह बताते हैं कि एक बकरी के पांच वर्ष में 7 बकरा व बकरी जन्मे, जिसमें से 2 वर्ष का देसी नस्ल का बकरा मनु है। इसका अभी वजन 40 किलो है। लंबाई 5 फीट व ऊंचाई 3 फिट है और उसके पेट पर एक तरफ तारे का निशान व दूसरी तरफ चांद का चिह्न है। इस बकरे की विशेष खातिरदारी उनकी पत्नी हंजा देवी व पुत्र गजेंद्र सिंह करते हैं। हर रोज सुबह नाश्ते के लिए शाम को चने भिगोए जाते हैं, जो खिलाए जाते हैं। साथ ही शैंपू से नहलाने के बाद देसी घी में पका मक्के का दलिया खिलाते हैं, तो हरा चारा नियमित खिलाते हैं। दो साल से बड़े ही लाड प्यार से उसे पाला जा रहा है और इसी के चलते यह बकरा क्षेत्रीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बकरे को बिक्री को लेकर कीमत तो स्पष्ट नहीं की, मगर चांद- तारे वाले बकरे की कीमत आम बकरों के मुकाबले कई गुना ज्यादा रहती है।

बकरीद पर रहती है चांद वाले बकरों की डिमांड

बकरीद के पर्व पर चांद वाले बकरे की खास डिमांड रहती है। इसी के मध्यनजर बरार पंचायत के खादर गांव में टील सिंह द्वारा इस बकरे का पालन पोषण खास तरीके से किया जा रहा है। टील सिंह ने बताया कि फिलहाल अभी बेचने का कोई प्लान नहीं है, मगर उचित समय आने पर नहीं बेचने से भी इनकार नहीं किया। बकरीद से पहले मुस्लिम समुदाय के लोग बकरा खरीदने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं।

Chand wala bakra

बकरों की कई जगह लगती है नीलामी

बकरीद के पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरा की कुर्बानियां देते हैं। इसको लेकर बकरे की काफी डिमांड रहती है, जिसमें शरीर पर चांद, तारे के निशान वाले बकरों की कीमत भी मुंह मांगी मिलती है। कुछ बकरों को नीलामी बोली के आधार पर बेचते हैं, जिसमें सर्वाधिक कीमत देने वाले को बकरा दिया जाता है। इस तरह कुछ बकरे की कीमत 20 हजार, 50 हजार तो क्या एक लाख से भी ज्यादा तक में बिकते हैं। हालांकि बड़े शहरों में इन बकरों कीमत काफी ज्यादा रहती है।

bakra eid story : बकरा ईद मनाने की कहानी

बताया जाता है कि बकरा ईद के दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इसके पीछे की कहानी यह है कि हज़रत इब्राहिम को अल्लाह ने आदेश दिया था कि वो अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुर्बान कर दें। हज़रत इब्राहिम अल्लाह का यह हुक्म माना और अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। हालांकि, जब हज़रत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे, तब बीच में बकरा आ गया और कुर्बान हो गया। इस वाकये के बाद इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। ईद-उल-अजहा की खासियत यह है मुस्लिम समुदाय में होने वाला हज भी इसी दौरान होता है। सऊदी अरब में भी लोग हज के दौरान कुर्बानी देते हैं। इसके तहत पहले बकरे को अच्छे से खिलाया जाता है।

Bakrid : बकरा ईद 2024 कब है

इस बार वर्ष 2024 में बकरा ईद का पर्व 16 या 17 जून को मनाए जाने की संभावना है। मुस्लिम लोग अल्लाह की इबादत करते हुए बकरों की कुर्बानी देते है। बकरीद (ईद उल अजहा) की तैयारियां कई माह पहले से चलती है। Bakrid 2024 को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरा खरीदते हैं और उसके बाद कुर्बानी देते हैं। यह परम्परा वर्षों पुरानी है। बकरीद को ईद-उज-जुहा या ईद-अल-अदा के नाम से जाना जाता है। यह मुसलमानों के लिए हज के पूरा होने का भी प्रतीक है। इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार धू अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है।