Chhath Festival : छठ महापर्व या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू महापर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वांचल राज्यों में बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
Hindhu Festival : छठ एक प्रसिद्ध पर्व है, जो हिंदू कैलेंडर माह “कार्तिक” के 6 वें दिन शुरू होता है। यह त्योहार सूर्यदेव और उनकी पत्नी उषा की पूजा को समर्पित है। यह त्यौहार पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करने और दिव्य सूर्य भगवान और उनकी पत्नी का आशीर्वाद लेने के लिए भगवान को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। जैसा की हम सभी को विदित है ,की शिवपुत्र कार्तिकेय का जन्म 6 शक्ति पुंज रुप में हुआ था, और 6 कृतिकाओं के द्वारा लालन – पालन होने के कारण इनका नाम कार्तिकेय पड़ गया। कार्तिकेय ने ही बडे होकर राक्षस ताड़कासुर का संहार किया। तभी से आभार व्यक्त करने के स्वरुप में भगवान शिव और माता पार्वती ने 6 कृतिकाओं अर्थात छठ मैया (जो की सतित्व , स्वच्छ्ता , पवित्रता की प्रतीक है) की पुजा अर्चना करके छठ महापर्व की शुरुआत हुई। इसलिए महिलाएं अपने सन्तान की दिर्घायू की कामना के लिये ये कठिन संकल्पित 36 घंटे का निर्जल उपवास रखती हैं ।
Chhath Puja : श्रीराम से भी जुड़ा छठ महापर्व
Chhath Puja : यह भी माना जाता है कि भगवान राम छठ पूजा की शुरुआत से जुड़े हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो उन्होंने भरतेश्वरी माता सीता ने प्रभु श्रीराम को ब्राह्मण हत्या पाप से मुक्त करवाने के लिए निर्जल उपवास रखा और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही इसे तोड़ा। प्राचीन मान्यता के अनुसार, छठ पूजा का त्योहार सबसे पहले भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र कर्ण द्वारा किया गया था। कर्ण अंग देश का शासक था, जिसे अब भागलपुर, बिहार के नाम से जाना जाता है। यह भी एक कारण था कि यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है, कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार द्रौपदी ने भी छठ व्रत रखा।
How to celebrate Chhath festival : छठ महापर्व की विधि
How to celebrate Chhath festival : छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ और चावल की खीर का प्रसाद बनाकर भोग लगाते हैं। तीसरे दिन, छोटी छठ के दिन, व्रती सुबह स्नान करते हैं और शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन व्रती तालाब या नदी के किनारे जाकर खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और प्रार्थना करते हैं। चौथे और अंतिम दिन, बड़ी छठ के दिन, व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रत का पारण करते हैं। इस दिन व्रती परिवार और मित्रों के साथ मिलकर प्रसाद का वितरण करते हैं।
Chhath Mahaparv Story : छठ पूजा का महत्व
- Chhath Mahaparv Story : प्रकृति पूजन: छठ पूजा में सूर्य, जल और प्रकृति की पूजा की जाती है। इससे प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
- आस्था और श्रद्धा: छठ पूजा आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। लोग इस पर्व के दौरान मन से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा करते हैं।
- सामाजिक एकता: छठ पूजा में सभी लोग मिलकर पूजा करते हैं और प्रसाद का आदान-प्रदान करते हैं। इससे सामाजिक एकता बढ़ती है।
- स्वास्थ्य लाभ: छठ पूजा के दौरान व्रत रखने से शरीर को विश्राम मिलता है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें प्रकृति के प्रति सम्मान करना सिखाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो आस्था, श्रद्धा और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
छठ महापर्व की विशेषता
जैसा की हर त्योहार अपने आप में कुछ ना कुछ विशेषता लिए होता हैं, वैसे ही अटूट आस्था और विश्वास का महापर्व छठ, अपने आप मे अनेक महती सीखों को समेटे हुए हैं । यह एक मात्र हिन्दू पर्व हैं जो शक्तिऊर्जा के स्त्रोत सूर्य देव के हर रूप की आराधना कर के एक सकारात्मक सन्देश देता हैं, की यदि श्रद्धा और विश्वास अटूट हैं, तो हर कष्ट और परेशानी को सहकर भी अन्धकार के बाद सूरज जीवन मे रोशनी लेकर आता हैं। यह पर्व आमजन को प्रकृति से जुड़े रहने की सीख देता हैं, इसे डाला(टोकरी) छठ भी कहते हैं । व्रत में प्रयुक्त हर सामग्री, सभी फल, फूल, कन्द, गन्ना आदि सभी मौसमी फल, फूल के प्रयोग के साथ साथ बांस से बना डाला(टोकरी), मिट्टी के दिये, हस्तशिल्प को तो बढावा देते हैं और साथ ही साथ पंचतत्वों (अग्नि, आकाश, धरती, वायु और पानी ) के निर्मल तन मन से पूजन की सीख देता हैं ।
भाईचारा और सद्भाव –
दीपावली की ही तरह यह पर्व हिन्दु धर्म के हर जाति, वर्ग के लोगों द्वारा एक साथ , एक ही स्थान पर, बिना किसी भेदभाव और छुआछुत, छोटे -बडे, ऊंच -नीच आदि कुरुतियों को भुलाकर एक साथ बडे हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता हैं। कई स्थानों पर केवल हिन्दु ही नही वरन अन्य धर्म के लोग भी इस पर्व को विधि विधान से मनाते हैं। लगातार 4 दिनों तक मनाया जाने वाला यह पर्व अपने आप मे एक अलौकिक, अविश्वनीय, आत्मविश्वास का संचार करता है। तन- मन की पवित्रता के साथ बिना कुछ खाए पीये सभी वर्तियों का संयम, आत्मविश्वास और अटूट श्रद्धा देखते ही बनती हैं। एकमात्र पर्व जो किसी शुभ मुहूर्त का इंतज़ार नहीं करता ।
सभी देशवाशियों को आस्था के इस अलौकिक और पावन महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
अन्नु राठौड़,रुद्रांजली
राजसमंद।