#Wondrous चमत्कारिक पहाड़ पर रोज गूंजती सेवा- पूजा की आवाज, रहस्यमयी गरूड़ शिखर की रोचक कहानी

ByParmeshwar Singh Chundawat

Feb 15, 2024 #Bhatoli Village, #Garadia Magra, #Garuda did penance, #Garuda Shikhar, #jaivardhan news, #jayavardhan news, #jayvardhan news, #live rajsamand, #mewar news, #Miraculous Dhuni Bhatoli, #miraculous shiva temple, #miraculous stories, #miraculous temple, #miraculous temple of india, #miraculous temple tamilnadu, #mysterious sound in the mountain, #mysterious temple, #mysterious temple in india in hindi, #Mysterious Temples in India, #mysterious temples in world, #mysterious temples of india, #mystery of the mountain, #penance place of Pandavas, #Rajasthan news, #rajasthan news live, #rajasthan police, #Rajsamand, #rajsamand news, #rajsamand tour, #Rajsamand Tourist Places, #shrinathji temple in nathdwara, #temple in rajsamand, #udaipur news, #unsolved mysteries of indian temples, #which is the most mysterious temple in india, #गराड़िया मगरा, #गरूड़ ने की थी तपस्या, #गरूड़ शिखर, #चमत्कारिक धुणी भाटोली, #चमत्कारिक मंदिर, #दुनिया का सबसे रहस्यमय मंदिर, #पहाड़ का रहस्य, #पहाड़ में रहस्यमयी आवाज, #पांडवों की तपोस्थली, #भगवान शिव के 5 रहस्यमय मंदिर, #भारत के 11 सबसे चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर, #मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय, #मनोकामना मंदिर, #रहस्यमयी पहाड़, #रहस्यमयी मंदिर, #राजस्थान के चमत्कारी मंदिर, #रोग दूर करने वाले मंदिर
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देश- दुनिया में वैसे तो कई ऐसी जगह व मंदिर हैं, जहां के चमत्कार व रहस्य को विज्ञान भी नहीं समझ पाया। कुछ ऐसा ही चमत्कारिक, रहस्यमयी व शांति एवं सुकून देने वाला स्थल है राजस्थान के राजसमंद जिले में भाटोली पंचायत के सथाना गांव में। इस पहाड़ के शिखर पर जाने पर रोज शाम को संध्या के वक्त जिस तरह से मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है, ठीक वैसी ही आवाज उस पहाड़ पर गूंजायमान होती है। 10 मिनट बाद स्वत: वह आवाज बंद हो जाती है। पहाड़ के शिखर पर चमत्कारिक धुणी भी है, जिसके भी स्वत: प्रज्जवलित होने की मान्यता है। इस रहस्य को लेकर ग्रामवासी ही नहीं, बल्कि संतजन भी चकित है। इस पहाड़ को क्षेत्रीय भाषा में गराड़िया मगरा कहते हैं, जबकि वर्तमान में इस पहाड़ की धुणी पर बिराजित संत अवधूत शरण ने गरूड़ शिखर के रूप में नामकरण कर दिया। इस जगह का जनसहयोग से विकास किया जा रहा है, जहां सराय के साथ आगन्तुक संतों के ठहरने के लिए विशेष प्रबंध भी किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत भाटोली द्वारा इस गरूड़ शिखर पहाड़ी के चारों तरफ चारागाह जमीन को तारबंदी कर सुरक्षित कर दी है, तो सघन पौधरोपण का प्लान तैयार किया है। धुणी पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बोरवेल खोदकर पेयजल का भी प्रबंध कर दिया गया है।

पांडवों ने भी रमाई थी धुणी

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भाटोली, राज्यावास, नमाना व आस पास के करीब पन्द्रह से बीस किमी. तक कहीं कोई पहाड़ नहीं है। चौतरफा समतल जमीन है, सथाना गांव में ज्वालामुखी की तरह एक पहाड़ है, जो न सिर्फ आमजन को शांति व सुकून देना वाला है, बल्कि चमत्कारिक धुणी है, तो मंदिर में सेवा की गूंज का रहस्य भी बेपर्दा आज तक नहीं हो पाया। यहां हर रोज दिन ढलते ही संध्या के वक्त मंदिर में सेवा की तरह गूंज सुनाई देती है, जबकि आस पास न कोई ऐसा मंदिर है, जहां सेवा पूजा की जाती हो। इसको लेकर क्षेत्रीय ग्रामीण ही नहीं, बल्कि संतजन भी चकित है। इस पहाड़ को क्षेत्रीय भाषा में गराड़िया मगरा कहा जाता है। इस तपोस्थली पर बिराजित संत अवधूत शरण ने इस पहाड़ी का नामकरण गरूड़ शिखर कर दिया है। बताते हैं कि इस पहाड़ पर भगवान गरूड़ ने तपस्या की थी और पांडवों ने भी धूणी रमाई थी। इस पहाड़ में लंबी गुफा होने की चर्चा है, जिसे फिलहाल पत्थर चुनकर बंद कर रखा है। यह पहाड़ कई गुफा को सहेजे हुए हैं, जहां एकान्त व प्रकृति का सामीप्य पाकर प्राचीनकाल में सिद्ध तपस्वियों एवं ऋषियों ने कठोर तपस्या करने व लौकिक- अलौकिक सिद्धियों को पाने की लोक मान्यताएं भी है।

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पहले भरते थे मेले, अब हर वर्ष भागवत कथा

राजसमन्द जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर भाटोली पंचायत के सथाना क्षेत्र में स्थित गरूड़ शिखर पर पहले प्रतिवर्ष मेला भरता था, मगर वह कुछ दशकों से बंद हो गया, मगर अब संत अवधूत शरण महाराज के आने के बाद पिछले दो साल से लगातार श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।

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शिखर पर गराड़िया माता का धाम

पहाड़ी के शिखर पर गराड़िया माता का धाम है, जहां चतुर्मुखी शिवलिंग बिराजित है। साथ ही हिंगलाज माता, अखण्ड जोत, धूंणी, महाकाली, हनुमानजी, भैरवनाथ की प्रतिमाएं स्थापित हैं। हर मौसम में इस पहाड़ी का नैसर्गिक वैभव सुकून की फुहारों से नहलाता रहता है। सूर्योदय व सूर्यास्त के मनोहारी नज़ारे के साथ ही मीलों तक का विहंगम नजारा भी खूब सुहाता है। वन्य जीव भी पूरी मस्ती के साथ विचरण करते हुए देखे जाते हैं। पक्षियों का भी कलरव भी गूंजता रहता है, जो काफी शांति व सुकून देने वाला रहता है।

हर मनोकामना पूरी होने की मान्यता भी

पहाड़ी के शिखर पर स्थित धुणी के प्रति लोकमान्यता है कि अगर श्रीफल हवन करने से हर मनोकामना पूरी होती है। बताया जाता है कि पहले भगवान गरूड़जी ने यहां तपस्या की थी, जबकि पांडवों के द्वारा धुणी स्थापना करने की भी लोकमान्यता है। इस पहाड़ी व धुणी को योगेश्वर की गादी भी कहा जाता है। यहां पर आध्यात्मिक शक्तियों का निवास है। संत अवधूत शरण बताते हैं कि अदृश्य व आध्यात्मिक शक्तियों के निवास के कारण ही यहां पर चमत्कार देखने को मिलते हैं।

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तपस्पवियों की गुफाएं है, पर अभी बंद

गरूड़ शिखर की गोद में कई गुफाएं होने की भी लोकमान्यता है। बताया जाता है कि पहाड़ी के पूर्व दिशा में गुफाएं है, जिसे क्षेत्रवासियों द्वारा पत्थरों की चुनाई कर बंद कर दिया। बताते हैं कि यही गुफाएं भी चमत्कारिक है और उन्हीं गुफाओं में पूजा अर्चना होती है। पहाड़ी पर गराड़िया माताजी मन्दिर है और गुफा के पास हिंगलाज देवी प्रतिमा है, जहां अखण्ड जोत प्रज्वलित है। इस तरह की तीन गुफाएं हैं लेकिन अब इन्हें बंद कर रखा है।

महंत शीतलनाथ महाराज थे सिद्ध संत

कहते हैं कि महन्त शीतलनाथ महाराज एक सिद्ध संत थे। बताते हैं कि जब महंत शीतलनाथ आराधना करते थे, तब उनके पास शेर भी उपस्थित रहता था। पहाड़ की निचाई में अवस्थित गुफा में हनुमान, काली, कालाजी-गोराजी भैरव आदि की प्रतिमाओं के साथ धूंणी है। बताते हैं कि नाथजी महाराज की कृपा से फतहपुरा व आस-पास के कई परिवारों के वंशज अपने नाम के साथ सिंह की बजाय नाथ लगाते हैं। इस धाम के बारे में मान्यता है कि यहां वही संत या साधक टिक सकता है जो कि सच्चा होता है।

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कई गांवों के लिए आस्था का केन्द्र है गरूड़ शिखर

गराड़िया मगरा, जिसे अब गरूड़ शिखर कहा जाता है। इस पहाड़ पर स्थित धुणी आमजन के आस्था का केन्द्र है। प्राकृतिक दृष्टि से भी पिकनिक स्पॉट है। कहते हैं कि यह 12 गांव की धुणी है। भाटोली के अलावा सथाना, नमाना, पाखण्ड, राज्यावास, पीपली आचार्यान, मेंघटिया कला, मेंघटिया खुर्द, बिजनोल आदि गांवों के लोगों की प्रगाढ़ आस्था है। यहां लोग नियमित रूप से धुणी पर आते हैं और दर्शन लाभ लेते हैं।

व्यसन कर धुणी पर प्रवेश निषेध

आमजन के आस्था का केन्द्र गरूड़ शिखर की धुणी पर व्यसन वाले लोगों का प्रवेश निषेध है। अगर कोई गलत संगत वाला व्यक्ति आ भी जाता है, तो उसके लिए दु:खदायी रहता है।

राजसमंद के रतालू की एमपी व गुजरात तक तक डिमांड, नकदी फसल से आत्मनिर्भर बन रहे किसान

मेवाड़ का श्रीगंगानगर कहे जाने वाले रेलमगरा क्षेत्र के रतालू की डिमांड मध्यप्रदेश और गुजरात तक है। एक ही गांव में 500 से 700 परिवार रतालू की खेती कर रहे हैं, जिनसे गुजरात, एमपी व उदयपुर की मंडियों के व्यापारी या दलाल सीधे संपर्क कर रतालू की गाडिय़ा भर ले जाते हैं। खास बात यह है कि रतालू के साथ बीच में खाली जगह पर किसान रिजके की फसल भी ले रहे हैं, जिससे किसानों को दोहरा मुनाफा हो रहा है। सर्वाधिक रतालू की खेती बामनिया कलां गांव में हो रही है, जहां पर 400 परिवार इसमें जुटे हुए हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करिए…