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Mahakumbh 2025 : महाकुंभ मेला, जो हर 12 साल में एक बार लगता है, श्रद्धालुओं की विशाल संख्या और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इस बार का महाकुंभ और भी खास बन गया है, क्योंकि यहां श्रद्धालुओं की गिनती के लिए अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। डिजिटल कैमरे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और फेस रिकग्निशन जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग कुंभ मेला प्रशासन ने किया है, जो श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आकलन करने में मदद करते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती होती है, इसके लिए किस तकनीक का सहारा लिया जाता है और कैसे यह प्रक्रिया 1882 से लेकर 2025 तक बदलती रही है।

mahakumbh 2025 prayagraj : गिनती की शुरुआत : अंग्रेजों के समय से

mahakumbh 2025 prayagraj : प्रयागराज में महाकुंभ मेला की शुरुआत कब से गिनती के तौर पर हुई, यह एक दिलचस्प तथ्य है। अंग्रेजों ने 1882 में पहली बार कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की गिनती शुरू की थी। उस समय बैरिकेड्स लगाए जाते थे, और हर व्यक्ति की गिनती की जाती थी। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर टिकटों की गिनती भी की जाती थी। उस समय लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं ने कुंभ मेले में हिस्सा लिया था। यह प्रणाली धीरे-धीरे उन्नति करती गई और हर कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई। लेकिन, गिनती का तरीका वही रहा — बैरिकेड्स और टिकटों के माध्यम से ही संख्या का अनुमान लगाया जाता था।

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How is counting done in Mahakumbh? : डिजिटल युग का आगमन: कैमरों और AI का इस्तेमाल

How is counting done in Mahakumbh? : 2025 के महाकुंभ मेला ने तकनीकी दृष्टि से एक नई दिशा पकड़ी है। इस बार गिनती के लिए डिजिटल कैमरे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल पूरे मेला क्षेत्र में 2700 कैमरे लगाए हैं, जिनमें से 1800 कैमरे मेला क्षेत्र के अंदर लगे हैं। इन कैमरों में से 270 से अधिक कैमरे AI से लैस हैं। ये कैमरे ऐसे स्थानों पर लगाए गए हैं, जहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है, जैसे संगम, अखाड़े, मेला क्षेत्र के प्रवेश द्वार और प्रमुख सड़कों पर। AI कैमरे शख्सियत की पहचान और उनकी गिनती करने में सक्षम हैं। जैसे ही कोई श्रद्धालु कैमरे की रेंज में आता है, उसकी गिनती स्वतः हो जाती है। ये आंकड़े मिनट दर मिनट अपडेट होते रहते हैं, जिससे मेला प्रशासन को तात्कालिक जानकारी मिलती रहती है।

Mahakumbh 2025 Facts and Stats : क्राउड मैनेजमेंट और सुरक्षा

Mahakumbh 2025 Facts and Stats : कुंभ मेला SSP (Senior Superintendent of Police) राजेश द्विवेदी के अनुसार, AI कैमरे न केवल गिनती करने में मदद करते हैं, बल्कि सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इन कैमरों में नंबर प्लेट रिकग्निशन और फेस रिकग्निशन की तकनीक भी शामिल है। इस तकनीक से पुलिस को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या अपराधी की पहचान करने में मदद मिलती है। AI कैमरे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी गाड़ी या व्यक्ति एक निर्धारित सीमा से ज्यादा न हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी पार्किंग की क्षमता 2 हजार वाहनों की है और उसमें 1800 वाहन खड़े हो गए हैं, तो कंट्रोल रूम में अलार्म बज जाएगा और इसके बाद पार्किंग व्यवस्था को सुधार लिया जाएगा।

Mahakumbh 2025 Counting : गिनती की प्रक्रिया : तीन मुख्य तरीके

कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की गिनती करने के लिए तीन प्रमुख तरीके अपनाए जाते हैं।

  1. मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या – मेला क्षेत्र के अंदर मौजूद श्रद्धालुओं की गिनती की जाती है। इस गिनती में हर व्यक्ति को एक बार गिनती के लिए माना जाता है, भले ही वह एक दिन से अधिक समय तक मेले में रहता हो।
  2. स्नान कर रहे श्रद्धालुओं की संख्या – घाटों पर स्नान करने के लिए जो श्रद्धालु आते हैं, उनकी गिनती अलग से की जाती है। यह गिनती यह सुनिश्चित करती है कि कितने लोग हर दिन स्नान कर रहे हैं।
  3. चलते हुए श्रद्धालुओं की संख्या – इस गिनती में उन श्रद्धालुओं की संख्या शामिल की जाती है, जो मेला क्षेत्र की ओर जा रहे होते हैं। इनकी गिनती भी कैमरों के माध्यम से की जाती है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि ये आंकड़े भी सही और सटीक हैं।

पुराने तरीकों का महत्व

AI के अलावा, पुराने तरीके भी इस बार उपयोग किए जा रहे हैं। एक गणितीय सांख्यिकीय फॉर्मूले के माध्यम से गिनती की जाती है, जैसा कि 2013 में किया गया था। उस वक्त यह माना गया था कि एक व्यक्ति घाट पर स्नान करने के लिए 0.25 मीटर की जगह लेता है और उसे स्नान करने में कम से कम 15 मिनट का समय लगता है।

इस आधार पर, एक घंटे में एक घाट पर लगभग 15,000 लोग स्नान कर सकते हैं। फिर इन आंकड़ों को 44 घाटों पर लागू किया जाता है और कुल श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाया जाता है।

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AI तकनीक की विश्वसनीयता

बीबीडी यूनिवर्सिटी की AI विशेषज्ञ लवी शर्मा कहती हैं कि AI कैमरे कई फैक्टर्स पर काम करते हैं, जैसे फेस रिकग्निशन और मशीन लर्निंग। हालांकि, वह यह भी मानती हैं कि कोई भी तकनीक 100% सटीक नहीं होती। इस तकनीक में भी कुछ सीमाएं होती हैं, जैसे कि एक व्यक्ति एक कैमरे में आकर गिना जाता है, लेकिन यदि वह व्यक्ति दूसरे कैमरे में भी आ जाता है, तो उसकी गिनती दो बार नहीं होती है।

विशेषज्ञों की राय

1989 से कुंभ मेले को कवर कर रहे मीडिया विशेषज्ञ एसके यादव कहते हैं कि न तो सरकार के पास और न ही मीडिया के पास कोई ऐसा मैकेनिज्म है, जिससे सही-सही गिनती की जा सके। वह मानते हैं कि गिनती का सटीक आकलन करना बेहद मुश्किल है क्योंकि बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं, जो ध्यान में रखी नहीं जा सकतीं। जैसे कि कितनी स्पेशल ट्रेनें और बसें चलाई गईं, कितनी संख्या में लोग अन्य रास्तों से पहुंचे, यह सभी आंकड़े भी गिनती में शामिल किए जाते हैं।

महाकुंभ मेला एक अत्यंत विशाल आयोजन है, जिसमें लाखों-करोड़ों लोग आते हैं। श्रद्धालुओं की गिनती में डिजिटल कैमरों, AI, और अन्य तकनीकी विधियों का उपयोग इस मेले को एक नई दिशा दे रहा है। हालांकि, ये तरीके बहुत सटीक नहीं हो सकते, लेकिन फिर भी ये गिनती को बेहतर और व्यवस्थित बनाने में मदद कर रहे हैं। आने वाले समय में शायद तकनीकी के और अधिक उन्नत होने से हम एक दिन 100% सटीक आंकड़े हासिल कर सकेंगे।

Author

  • Parmeshwar Singh Chundawat

    परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Parmeshwar Singh Chundawat

परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com