प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है। सोमवार, 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाआयोजन के पहले ही दिन श्रद्धालुओं का जनसैलाब संगम तट पर उमड़ पड़ा। सनातन धर्म की परंपराओं और आस्थाओं के इस महोत्सव में पौष पूर्णिमा का स्नान संपन्न हुआ। इस दिन लगभग 1 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।
Mahakumbh 2025 Snan : महाकुंभ के पहले दिन का उत्साह
Mahakumbh 2025 Snan : महाकुंभ के पहले दिन से ही संगम किनारे श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर आस्था की लहरें उमड़ पड़ीं। श्रद्धालुओं ने सुबह ब्रह्ममुहूर्त से ही स्नान करना शुरू कर दिया। महाकुंभ के इस आयोजन में आज तक लगभग 50 लाख से अधिक लोगों ने गंगा में स्नान किया और शाम तक यह संख्या 1 करोड़ तक पहुंच गई। हर-हर महादेव और जय गंगे मैया के जयकारों से संगम तट गूंज उठा।
Mahakumbh Shahi Snan : सुरक्षा और प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था
Mahakumbh Shahi Snan : महाकुंभ 2025 की सुरक्षा व्यवस्था अभेद्य है। आयोजन स्थल पर लगभग 2700 एआई कैमरे लगाए गए हैं, जो पूरे क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं। पानी के भीतर 113 ड्रोन और कंट्रोल रूम से 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस, एटीएस, एनएसजी, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसटीएफ के जवान सात-स्तरीय सुरक्षा घेरा संभाल रहे हैं।
Pryagraj Mahakumbh Amrit Snan : पहला अमृत स्नान और शाही स्नान
Pryagraj Mahakumbh Amrit Snan : महाकुंभ में कुल छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे, जिनमें से तीन अमृत स्नान हैं। पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को होगा। इस दिन सबसे पहले अखाड़ों के संत-महंत शाही स्नान करेंगे। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए स्नान आरंभ होगा। अमृत स्नान के दौरान लेटे हुए हनुमान मंदिर को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। श्रद्धालु मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर सकेंगे।
Mahakumbh news : महाकुंभ का महत्व
Mahakumbh news : महाकुंभ को सनातन धर्म में एक विशेष स्थान प्राप्त है। हर 12 साल में आयोजित होने वाले इस आयोजन में आस्था और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। मान्यता है कि त्रिवेणी संगम में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस बार के महाकुंभ में 40-50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
देश-विदेश से उमड़ी भीड़
महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड से आए श्रद्धालुओं ने इसे अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव बताया। विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और स्वच्छता व्यवस्था की तारीफ करते नजर आए।
Maha Kumbh Mela 2025 : प्रशासन और संतों का योगदान
Maha Kumbh Mela 2025 : महाकुंभ के सफल आयोजन में प्रशासन और संत समाज का विशेष योगदान है। प्रयागराज के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड और डीजीपी प्रशांत कुमार खुद ग्राउंड जीरो पर व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं। संतों और अखाड़ों के सहयोग से श्रद्धालुओं को सुविधाजनक अनुभव प्रदान किया जा रहा है।
शाही स्नान का इंतजार
महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को जूना अखाड़े के साधु-संतों द्वारा किया जाएगा। शाही स्नान के लिए सुबह 4 बजे से अखाड़ों का काफिला संगम तट पर पहुंचेगा। इसके बाद अन्य अखाड़ों के संत शाही स्नान करेंगे।
Mahakumbh 2025 Prayagraj Start : श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
Mahakumbh 2025 Prayagraj Start : श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यूपी सरकार ने विशेष प्रबंध किए हैं। रोडवेज बसों को भगवा रंग में रंगा गया है और इन बसों में रामधुन बजाई जा रही है। संगम तक पहुंचने के लिए विशेष मार्ग बनाए गए हैं और श्रद्धालुओं को ट्रैफिक जाम से बचाने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं।
Mahakumbh 2025 start date : प्रमुख स्नान तिथियां
- पौष पूर्णिमा (13 जनवरी): पहला स्नान पर्व।
- मकर संक्रांति (14 जनवरी): पहला अमृत स्नान।
- मौनी अमावस्या (29 जनवरी): दूसरा अमृत स्नान।
- बसंत पंचमी (2 फरवरी): तीसरा अमृत स्नान।
- माघ पूर्णिमा (12 फरवरी): पांचवां स्नान पर्व।
- महाशिवरात्रि (26 फरवरी): समापन और अंतिम स्नान।
नेताओं और विशिष्ट जनों की भागीदारी
महाकुंभ के पहले दिन कई राजनेताओं ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत का गौरवपूर्ण प्रमाण बताया। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने संगम में डुबकी लगाई और सभी को महाकुंभ में भाग लेने का आह्वान किया।
अध्यात्म और व्यापार का संगम
महाकुंभ में भक्ति के साथ-साथ व्यापार का भी संगम देखने को मिलता है। मेले में भंडारे और खाने-पीने की दुकानों पर भारी भीड़ नजर आई। सड़क किनारे लगे ठेले और रेहड़ी वालों की दुकानों पर भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखा गया। महाकुंभ 2025 न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का प्रतीक है। यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का वह संगम है, जो लोगों को जोड़ता है और जीवन को पवित्र बनाता है। प्रयागराज का संगम तट एक बार फिर सनातन धर्म की महिमा को प्रदर्शित कर रहा है।