Baba Ramdev History : जन जन की आस्था का केंद्र बाबा रामदेव। इन्हें लोक देवता भी कहते हैं। इनका मुख्य मंदिर राजस्थान में जैसलमेर जिले के रूणीचा में है, जिसे रामदेवरा भी कहते हैं। इस तरह रामदेवरा का इतिहास बड़ा ही रोचक है। बाबा रामदेव ने सामाजिक कुरीति मुक्त समाज निर्माण में खास कार्य किए और समाज व लोगों के जीवन में परिवर्तन लाए, जिससे वे जन-जन के लोकप्रिय बन गए। बाबा रामदेव ने भैरव राक्षस का वध कर लोगों को उसके आतंक से भी मुक्त करवाया। उसके बाद ही बाबा रामदेव को लोकदेवता के रूप में पुकार जाने लगा। बाबा रामदेव ने किसी भी धर्म व जाति के साथ भेदभाव नही किया, जिसके कारण हिन्दू लाेकदेवता बाबा रामदेव को श्री कृष्ण के अवतार रूप में भी पूजते हैं, तो मुस्लिम रामसा पीर के रूप में दर्शन करते हैं। बाबा रामदेव की लोकप्रियता हिन्दू व मुस्लिम दोनों ही धर्मो में हैं। बाबा रामदेव के कई प्रत्यक्ष चमत्कार है, जिसकी वजह से जैसलमेर जिले ही नहीं, बल्कि संपूर्ण राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली व मुंबई तक लोग पैदल चलकर आते हैं और अपनी मन्नत पूर्ण होने पर प्रसादी करते हैं। यहां प्रतिवर्ष भादवी बीज की तिथि पर भव्य मेला भरता है, जिसमें देशभर से लाखों लोग शामिल होते हें। Ramdevra, a village situated about 12 kilometers north of Pokhran in the Jaisalmer district of Rajasthan, India, boasts a rich history deeply intertwined with the revered saint Baba Ramdev Pir.

Ramdev history in hindi : बाड़मेर जिले के ऊडूकासमेर में हुआ जन्म

Ramdev history in hindi : बाबा रामदेव का जन्म विक्रम सवंत 1409 भाद्रपद शुक्ल तृतीया को राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले के ऊँडूकासमेर गाँव के राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम अजमाल तंवर व माता का नाम मैणादे था। इनका भाई था जिसका नाम वीरभद्र था व दो बहनें थी लाछा व सुगना। बाबा रामदेव ने अपनी शिक्षा- दीक्षा गुरू मल्लिनाथ से की। बाबा रामदेव समाज सुधारक थे इन्होंने समाज में व्याप्त बुराईयां व कुरीतियों को नष्ट कर लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया। बाबा रामदेव ने अपने जीवन में कई ऐसे पर्चे दिए, जिससे वो लोगों के लोकप्रिय बन गए। बाबा रामदेव के पर्चाे के बाद उन्हें प्रसिद्ध रूप पीरों के पीर रामापीर, रामाधणी ऐसे कई नामों से पुकारा जाता है। बाबा रामदेव के घोड़े का नाम लीलण था जो उन्हें सर्वाधिक प्रिय था।

Ramdev ji history in hindi नेतलदे से हुआ था बाबा रामदेव का विवाह

बाबा रामदेव का विवाह अमरकोट में सोढ़ा दल सिंह की पुत्री नेतलदे का साथ हुआ था। बताते हैं विवाह से पहले नेतलदे अपाहिज थी, लेकिन जब उनकी शादी हो रही थी, तब लेते वक्त बैसाखी लेने से बाबा रामदेव ने इनकार कर दिया। फिर रामदेव ने हाथ पकड़ नेतलदे को खड़ा कर फेरे लगे तो स्वत: ही उसके पैर सही हो गए और नेतलदे खुद चलने लग गई। बाबा रामदेव के चमत्कार को देख हर कोई आश्चर्य से भर गया। रामदेवजी के दो पुत्र व एक पुत्री थी, जिनका नाम सादोजी, देवोजी व पुत्री का नाम फूल कंवर था।

Ramdev ji : जाति, धर्म की बेड़िया तोड़ मानवता को सर्वोपरि बताया

Ramdev ji : बाबा रामदेव ने जाति, धर्म से लोगों को मुक्त करने की कोशिश की। उन्होंने हमेशा गरीबों की मदद की। ऊंच-नीच में कोई भेद नहीं किया व कुरीतियों से दूर रहने की नसीहतें दी। उन्होंने हमेशा समाज को एक अच्छी शिक्षा की ओर अग्रसर किया। इसलिए आज बाबा रामदेव सभी के इष्ट है, जिन्हें आज हर जाति वर्ग द्वारा पूजा जाता है। बताया जाता है कि बाबा रामदेव की प्रसिद्ध भक्त डाली बाई थी जो कि निम्न समुदाय से थी। बाबा रामदेव ने जाति प्रथा, छुआछुत व भेदभाव को मिटाकर समाज को नई दिशा की ओर अग्रसर किया। इसीलिए उन्हें मुस्लिम समुदाय के लोग भी मानते हैं। इस तरह बाबा रामदेव ने सर्वधर्म समुदाय की सीख दी।

Ramdevra History in hindi : अनाथ बच्ची को बना लिया था बहन

Ramdevra History in hindi : पूंगलगढ़ का इतिहास बाबा रामदेव की दो बहनें थी, सुगना व लाछा। लाछा रामदेवजी की मुंहबोली बहन थी, जो जंगल में शिकार के दौरान एक पेड़ के नीचे दिखी, जिसे वे घर ले आए और बहन बना लिया। फिर वह रामभक्ति में लीन हो गई व रामदेवजी को भगवान मानने लगी। दूसरी बहन सुगना सगी बहन थी, जिसका विवाह पूंगलगढ़ के राजकुंवर उदयसिंह पड़िहार के साथ हुआ। बताया जाता है कि विवाह के बाद सुगना देवी को ससुराल में बहुत कष्ट दिया। क्योंकि बाबा रामदेव निम्न समुदाय व जातियों के साथ बैठते थे, जिससे पूंगलगढ़ के कुंवर उदयसिंह को अच्छा नही लगता था। उसके बाद सुगनादेवी को बाबा रामदेव के पास भी नही जाने देते थे।

Lok Devta ramdevji : हैरान कर देने वाली रामदेवजी की बाल लीलाएं

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Lok Devta ramdevji : रामदेवजी का बाल्यकाल भी बड़ा ही रोचक व हैरान कर देने वाला था। बचपन से ही कई हैरत कर देने वाली घटनाएं घटित हुई, जिसे एकाएक कोई समझ ही नहीं पाया था। बताया जाता है कि जब रामदेवजी का जन्म हुआ, तब महल में पड़े सारे बर्तन दूध से भर गए थे। आंगन में कुमकुम के पगलिए बन गए थे। बाल्यवस्था में उन्होंने पिता से कपड़े के घोड़े की मांग की, तब पिता ने कपड़े का घोड़ा लाकर थमाया तो घोड़ा उड़ने लगा और बाल्यकाल में ही भैरव नामक राक्षस का वध कर सबको चौंका दिया। तब भैरव राक्षक का काफी आतंक था, जिससे लोग काफी परेशान थे।

बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास : बाबा रामदेव का वंश

रामदेव को अर्जुन वंश का माना जाता है और उन्हें हिन्दू धर्म शास्त्र में हिंदु धर्म में कृष्ण के अवतार में पुजा जाता है तो मुसलमान इन्हें रामसा पीर के रूप में पूजते हैं। बाबा रामदेव ने हमेशा सभी के उत्थान के प्रयास किए उन्होंने कभी जाति व धर्म में भेद नही किया। बताया जाता है कि वर्तमान में बाबा रामदेवजी के वंशज रामदेवरा में रहते हैं। बाबा रामदेव ने अपने जीवनकाल में कई ऐसे चमत्कार व लीलाएं बताई ।

Ramdev ji lok devta : बाबा रामदेव के जन्म व भैरव राक्षस का वध

लोक किवंदितियों व कथाओं में हम देखें तो बताते हैं कि जाता है कि बाबा रामदेव के जन्म होने का कारण भैरव राक्षस का वध था। क्योंकि भैरव राक्षस का आतंक इतना बढ़ चुका था कि लोग परेशान हो चुके थे। भैरव राक्षस लोगों को मारकर उन्हें खा जाता था। लोगों का घर से निकलना आपत्तिपुर्ण हो चुका था। बताया जाता है कि बाल्य अवस्था में बाबा रामदेव दोस्तों के साथ कुटिया में खेल रहे थे तभी वहां भैरव नामक राक्षस आ जाता है, राक्षस को देख गुरू बालीनाथ बाबा रामदेव को अपने गुदड़ी में छिपा लेता है जब राक्षस द्वारा गुदड़ी को खिंचा जाता है तो वो सर्वाधिक बढ़ने लगती है जिससे राक्षस वहां से भाग जाता है बाबा रामदेव भी राक्षस के साथ भागते हैं व गुफा में जाकर उसका वध कर देतें हैं उसके बाद बाबा रामदेव को जन-जन द्वारा पुजा जाता है। बताया जाता है कि उसके बाद भी बाबा रामदेव ने समाजहित के कई प्रयास किए।

Ramdev Ji ka itihaas : लोकप्रिय देवता बाबा रामदेव के चमत्कार

Ramdev Ji ka itihaas : जन-जन के प्रिय बाबा रामदेव के कई चमत्कार हैं जिसे पौराणिक कथाओं में पर्चे के नाम से जाना जाता हैं। बताया जाता है कि बाबा रामदेव ने अपने जीवन काल में कुल 24 चमत्कार किए, जिन्हें पौराणिक कथाओं व भजनों में भी सुना जा सकता है। बाबा रामदेव ने पहला पर्चा अपनी माता को बताया व दूसरा पर्चा अपने पिता को बताया। बाबा रामदेव ने तीसरा पर्चा दर्जी को बताया चौथे पर्चे में उन्हाेंने मिश्री को नमक बना दिया तथा पांचवे पर्चे में भैरव राक्षस का वध, पांच पीरों का मिलन, भाभी को परचा, जाम्भोजी को परचा, खाती को पुनर्जीवित करना, मुस्लिम शाह को पर्चा। इसी प्रकार बाबा रामदेव ने अपने जीवनकाल में कई पर्चे बताएं जिससे बाबा रामदेव हर समाज व जन के लोकप्रिय बन गये।

Baba Ramedev Mela : बाबा रामदेव का रूणिचा मेला

Baba Ramedev Mela : लोकदेवता बाबा रामदेव के रूणिचा मेले की बात करें तो यह मेला भादवी बीज को बाबा रामदेव के जन्मदिन को ही भरता हैं, इस मेलें में लाखों की तादाद में लोग आते हैं मुख्य रूप से इसमें राजस्थान से ही नही बल्कि अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश व मुंबई सहित कई राज्यों से लोग आते हैं। लोग बाबा रामदेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सुख- समृद्धि की कामना करतें हैं। बाबा रामदेव के स्थल पर कामड़िया पंथ के लोग एक विशेष प्रकार का तेरहताली नृत्य करते हैं। यहां पर भंडारें की विशेष रूप से व्यवस्था की जाती है। बताया जाता है कि रूणिचा में बाबा रामदेव के मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा ने 1931 में कराया था।

Baba Ramapir history in hindi : बाबा रामदेव की समाधि

Baba Ramapir history in hindi : बाबा रामदेव ने संवत् 1442 में 33 वर्ष की आयु में समाधि लेने का निर्णय लिया। लोकदेवता बाबा रामदेव ने समाधि लेने से पूर्व सभी को सुचित किया ताकि लोगों को जानकारी रहे। बताया जाता है कि यह खबर जब उनकी भक्त डाली बाई को मिलती है तो वो भी समाधि लेने पहुंच जाती हैं। उसके बाद बाबा रामदेव श्रीफल लिए सभी गुरूओं को प्रणाम कर अन्तिम पुजन किया व समाधि ले ली। उसके बाद भक्त डाली बाई भी समाधि ले लेती है। इसलिए आज भी जैसलमेर के रूणिचा में बाबा रामदेव के पास ही भक्त डाली बाई की भी समाधि बनी हुई हैं। जहां पर आज पुजा अर्चना की जाती हैं।

बाबा रामदेवजी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

1. जन्म और परिवार:

  • 14वीं शताब्दी में राजस्थान के पोकरण में जन्मे।
  • उनका जन्म एक राजपूत परिवार में हुआ था।
  • उनका जन्म नाम “रणछोड़दास” था।

2. धार्मिक शिक्षा:

  • बचपन में ही योग और आयुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की।
  • 12 वर्ष की आयु में उन्होंने “वल्लभाचार्य” से दीक्षा प्राप्त की।
  • रामानंद स्वामी से भी उन्होंने शिक्षा प्राप्त की।

3. सामाजिक कार्य:

  • जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • गरीबों और दलितों के लिए काम किया।
  • महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी आवाज उठाई।

4. चमत्कार:

  • बाबा रामदेवजी के कई चमत्कारों के बारे में कहानियाँ प्रचलित हैं।
  • लोगों का मानना ​​है कि वे बीमारों को ठीक कर सकते थे और मृतकों को भी जीवित कर सकते थे।

5. मृत्यु और समाधि:

  • 15वीं शताब्दी में उनका निधन हुआ।
  • उनकी समाधि राजस्थान के रामदेवरा में स्थित है।
  • हर साल लाखों लोग उनकी समाधि पर जाते हैं।

6. विरासत:

  • आज भी बाबा रामदेवजी को एक महान संत और योगी माना जाता है।
  • उनके योगदानों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

7. अन्य रोचक तथ्य:

  • वे एक कुशल योद्धा भी थे।
  • उन्होंने कई मुस्लिम शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • वे हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में लोकप्रिय थे।

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8. लोकप्रियता का कारण:

  • उनकी सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते थे।
  • वे हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे।
  • उनके जीवन से कई प्रेरणादायक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं।

9. आधुनिक युग में:

  • आज भी बाबा रामदेवजी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
  • उनके जीवन से जुड़ी कहानियाँ और शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं।

10. योगदान:

  • उन्होंने योग और आयुर्वेद को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए भी लड़ाई लड़ी।

रामदेवरा का इतिहास : Ramdevra ka Itihas

रामदेवरा, राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह स्थान लोकप्रिय संत बाबा रामदेव जी के मंदिर के लिए जाना जाता है। इतिहास के अनुसार, माना जाता है कि बाबा रामदेव जी 14वीं शताब्दी में हुए थे। उनके जीवन के बारे में कई लोक कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ उनके दिव्य चमत्कारों का वर्णन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि बाबा रामदेव जी ने समाज के सभी वर्गों के लोगों की भलाई के लिए काम किया था। उनकी मृत्यु के बाद, उनके समाधि स्थल पर एक मंदिर बनाया गया, जो आज रामदेवरा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि पोकरण शासक अजमल सिंह तंवर के पुत्र तंवर राजपूत के रूप में जन्मे बाबा रामदेवजी को लोक देवता कहा गया। उनके जीवन के बारे में कई किंवदंतियाँ हैं, जिनमें चमत्कारी शक्तियों और राक्षसों को हराने की कहानियाँ शामिल हैं।

Baba ramdev : रामदेवरा के इतिहास की कुछ प्रमुख बातें

  • माना जाता है कि बाबा रामदेव जी का जन्म 1300 ईस्वी के आसपास हुआ था।
  • उनके जीवन के बारे में कई लोक कथाएँ प्रचलित हैं।
  • उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लोगों की भलाई के लिए काम किया।
  • उनकी मृत्यु के बाद, उनके समाधि स्थल पर एक मंदिर बनाया गया।
  • हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वितीया से दशमी तक रामदेवरा में एक भव्य मेला लगता है, जिसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। .